पीएम नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक के मामले में केंद्र और पंजाब सरकार के बीच रस्साकसी पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है. SC ने कहा, प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक किसी भी पक्ष द्वारा गंभीर रूप से विवादित नहीं है लेकिन इस तरह की चूक के लिए कौन जिम्मेदार है. इसे लेकर राज्य और केंद्र सरकार के बीच ब्लेम गेम चल रहा है. आपस में जुबानी जंग कोई हल नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर प्रतिक्रिया के लिए एक मजबूत तंत्र की आवश्यकता को कम कर सकता है इसलिए, हम याचिकाकर्ता मनिंदर सिंह की दलीलों में योग्यता पाते हैं कि न केवल उपरोक्त चूक के लिए जिम्मेदार अधिकारी (अधिकारियों) / प्राधिकरण की पहचान की जानी चाहिए. बल्कि नए उपाय विकसित करने की एक बड़ी जरूरत भी है जो यह सुनिश्चित कर सके कि भविष्य में ऐसी घटना दोहराई ना जाए.
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कोर्ट ने कहा कि सभी रिकॉर्ड तीन दिनों के भीतर जांच कमेटी की अध्यक्ष को सौंपे जाने चाहिए. केंद्र और पंजाब जांच कमेटी को पूरी सहायता प्रदान करेंगे. यह भी कहा गया है कि जांच कमेटी की अध्यक्ष पेंशन छोड़कर सुप्रीम कोर्ट के जज के सभी लाभों की हकदार होंगीं. जांच को प्रभावी रूप से पूरा करने के लिए अध्यक्ष को पूरी सचिवीय सहायता, आधिकारिक कार और अन्य सामग्री प्रदान की जाएगी. जांच समिति की कार्यवाही के समापन तक केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा जारी जांच को स्थगित रखा जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में SC की रिटायर जज जस्टिस इंदू मल्होत्रा की अगुवाई में कमेटी बनाई है. इस कमेटी में DG NIA, DGP चंडीगढ़, IG सुरक्षा (पंजाब), पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल भी शामिल होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन सवालों को किसी एकतरफा जांच पर नहीं छोड़ा जा सकता. इस मामले में स्वतंत्र जांच की जरूरत है. उल्लंघन के कारणों का पता लगाया जाना चाहिए. पता लगे कि कौन जिम्मेदार है. इस तरह की चूक रोकने के लिए आवश्यक सुरक्षा उपाय क्या हैं.