क्या सोनम वांगचुक को सुप्रीम कोर्ट से मिलेगी राहत? पत्नी गीतांजलि अंगमो की याचिका पर सोमवार को होगी सुनवाई

लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की NSA के तहत गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा.

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  • लद्दाख में विरोध प्रदर्शनों के दौरान 4 लोगों की मौत हुई थी, जिसके बाद वांगचुक को गिरफ्तार कर लिया गया
  • वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर उन्हें रिहा करने की मांग की है
  • याचिका में कहा गया है कि वांगचुक ने केवल लद्दाख को राज्य बनाने की मांग को लेकर लोकतात्रिक मांग की है
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नई दिल्ली:

लद्दाख में पिछले महीने हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद हिरासत में लिए गए सोनम वांगचुक के समर्थन में अब न्यायिक लड़ाई दिल्ली तक पहुंच गई है. वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि उनके पति को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है और एक सप्ताह से अधिक समय से उनके बारे में कोई जानकारी नहीं दी जा रही. उनका कहना है कि वांगचुक किसी भी तरह से हिंसक या असंवैधानिक आंदोलन का हिस्सा नहीं थे, बल्कि केवल लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की लोकतांत्रिक मांग उठा रहे थे.

दो सदस्यीय पीठ करेगी सुनवाई

न्यायालय की सूची के अनुसार, यह याचिका न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की दो सदस्यीय पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आएगी. याचिका में कहा गया है कि वांगचुक को न तो किसी वैधानिक प्रक्रिया के तहत गिरफ्तार किया गया और न ही उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश किया गया है.

वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा और वकील सर्वम रितम खरे के माध्यम से दायर याचिका में मांग की गई है कि अदालत लद्दाख प्रशासन को निर्देश दे कि वह सोनम वांगचुक को अदालत में पेश करे ताकि उनकी सुरक्षा और कानूनी अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें. याचिका में यह भी कहा गया है कि 24 सितंबर को हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान चार लोगों की मौत और करीब 90 लोगों के घायल होने के बाद प्रशासन ने मनमाने तरीके से वांगचुक को निशाना बनाया. 26 सितंबर को उन्हें हिरासत में लेकर राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया.

गीतांजलि अंगमो ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

इससे पहले, गीतांजलि अंगमो ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक भावुक पत्र लिखकर हस्तक्षेप की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि “मेरे पति को पिछले चार सालों से लोगों के हित में काम करने की वजह से बदनाम किया जा रहा है. वह किसी के लिए खतरा नहीं हैं, बल्कि एक शिक्षक और शांतिप्रिय कार्यकर्ता हैं.”

वहीं, लद्दाख प्रशासन ने फिलहाल हिंसा की घटनाओं पर मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं. हालांकि स्थानीय लोग और आंदोलनकारी न्यायिक जांच की मांग पर अड़े हैं. अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट की सोमवार को होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं, जो इस पूरे मामले की दिशा तय कर सकती है.

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