महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान छुट्टी देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 24 फरवरी को सुनवाई

वकील शैलेंद्र मणि त्रिपाठी द्वारा दाखिल याचिका में सुप्रीम कोर्ट से राज्य सरकारों को महिलाओं के लिए मासिक धर्म की समस्या में छुट्टी के लिए नियम बनाने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई है.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
याचिका में महिलाओं के लिए मासिक धर्म के दौरान अवकाश दिए जाने की मांग.
नई दिल्ली:

महिलाओं के मासिक धर्म के समय छुट्टी दिए जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई के लिए तैयार हो गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 24 फरवरी को मामले पर सुनवाई करेंगे. वकील शैलेंद्र मणि त्रिपाठी द्वारा दाखिल याचिका में सुप्रीम कोर्ट से राज्य सरकारों को महिलाओं के लिए मासिक धर्म की समस्या में छुट्टी के लिए नियम बनाने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई है. इस जनहित याचिका में मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 14 को प्रभावी तौर पर लागू करने के निर्देश सरकार को देने की गुहार अदालत से लगाई गई है.  याचिका में छात्राओं और कामकाजी महिलाओं के लिए मासिक धर्म संबंधित दर्द अवकाश दिए जाने की मांग की गई है.

इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए निरीक्षकों की नियुक्ति भी सुनिश्चित की जाए. मौजूदा दौर में बिहार ही एकमात्र राज्य है जो 1992 की नीति के तहत विशेष मासिक धर्म दर्द अवकाश प्रदान करता है. ऐसे में देश के अन्य राज्यों में महिलाओं को मासिक धर्म के दर्द या मासिक धर्म की छुट्टी से इनकार करना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता और गरिमापूर्ण जीवन जीने के उनके मौलिक संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है. याचिका में इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के दखल की गुहार लगाते हुए कहा गया है कि मासिक धर्म में दर्द से राहत के लिए अवकाश को लेकर विधायी इच्छाशक्ति की कमी है, क्योंकि संबंधित मामलों पर लोकसभा में दो निजी सदस्य बिल पेश किए गए थे. लेकिन दोनों बिल लैप्स हो गए हैं.

याचिका में यह भी कहा गया है कि यदि कुछ संगठनों और राज्य सरकारों को छोड़कर, सोसाइटी विधायिका और अन्य हितधारकों ने जाने-अनजाने में मासिक धर्म की अवधि में छुट्टी की मांग को अनदेखा किया है. इस जनहित याचिका के मुताबिक जहां कुछ भारतीय कंपनियां जैसे इविपन, जोमैटो, बायजूज, स्विगी, मातृभूमि, मैग्जटर, इंडस्ट्री, एआरसी, फ्लाईमायबिज और गुजूप पेड पीरियड लीव ऑफर करती हैं. वही UK, चीन, जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, स्पेन और जाम्बिया पहले से ही किसी न किसी रूप में मासिक धर्म दर्द अवकाश दे रहे हैं. लिहाजा भारत में सभी कंपनियों और संस्थानों को इसका अनुपालन  सुनिश्चित करने का आदेश दिया जाए.

ये भी पढ़ें  : शिवसेना बनाम शिवसेना मामला : पांच जजों की संविधान पीठ सुनवाई कर रही

ये भी पढ़ें : BJP ने घोषणापत्र में पूर्वी नगालैंड के लिए पैकेज और नगा संस्कृति को संरक्षित करने का किया वादा

Advertisement
Featured Video Of The Day
US Election 2024: America के चुनाव पर यूं ही नहीं रहती है सबकी निगाह! जानिए क्या है बड़ी वजह | Apurva Explainer
Topics mentioned in this article