अन्नाद्रमुक में नेतृत्व विवाद पर छह जुलाई को सुनवाई करेगा उच्चतम न्यायालय

मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने 23 जून को आदेश दिया था कि अन्नाद्रमुक की आम और कार्यकारी परिषद बैठक में किसी भी अघोषित प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा सकता है. इसके विरोध में पलानीस्वामी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचे थे.

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नई दिल्ली:

तमिलनाडु (Tamil Nadu) के पूर्व मुख्यमंत्री ई के. पलानीस्वामी (ईपीएस) की याचिका पर छह जुलाई से सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने समय तय कर दिया है. पलानीस्वामी की याचिका में मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें पार्टी के एकल नेतृत्व के मुद्दे पर अन्नाद्रमुक (AIADMK) की आम और कार्यकारी परिषद की बैठक में किसी अघोषित प्रस्ताव को पारित करने पर रोक लगा दी गई थी. न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि वह मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमण द्वारा दी गई मंजूरी के अधीन छह जुलाई को याचिका पर सुनवाई करेगी.

ईपीएस गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय की खंडपीठ आधी रात के बाद असाधारण रूप से बैठी और 23 जून को सुबह चार बजे आदेश पारित किया. उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय का पार्टी को किसी भी अघोषित प्रस्ताव पर विचार करने से रोकने का आदेश राजनीतिक दल के आंतरिक कामकाज में हस्तक्षेप है. वैद्यनाथन ने कहा कि अंतरिम आदेश के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय में अवमानना याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन पर सोमवार को सुनवाई हो रही है.

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वहीं, पार्टी समन्वयक और पनीरसेल्वम गुट के लिए एक कैविएट में पेश हुए वकील ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि यह एक अंतरिम आदेश था और उच्च न्यायालय अभी भी मामले पर विचार कर रहा है. उन्होंने कहा कि आदेश मूल वाद में पारित हुआ, जो अभी भी उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है. और अवमानना याचिकाएं दायर की गईं, क्योंकि आम और कार्यकारी परिषद की बैठकों में निर्देशों का उल्लंघन हुआ था. पीठ ने आदेश दिया कि प्रधान न्यायाधीश द्वारा दी गई मंजूरी के अधीन मामले को छह जुलाई को सूचीबद्ध किया जाएगा.

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मद्रास उच्च न्यायालय ने क्या फैसला दिया था
मद्रास उच्च न्यायालय ने 23 जून को आदेश दिया था कि अन्नाद्रमुक की आम और कार्यकारी परिषद बैठक में किसी भी अघोषित प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा सकता है, जिससे संभावित एकल नेतृत्व के मुद्दे पर संयुक्त समन्वयक ईपीएस के नेतृत्व वाले खेमे के इस तरह का कोई भी कदम उठाने पर रोक लग गई थी.

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