हिमाचल सरकार के 6 सीपीएस को अयोग्य ठहराए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, जानें पूरा मामला

हिमाचल प्रदेश में 6 मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद्द करने के हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर आंशिक रोक लगा दी है.

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हिमाचल प्रदेश सरकार को मुख्य संसदीय सचिवों की नयी नियुक्ति नहीं करने को कहा...
नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार को मुख्य संसदीय सचिवों की नयी नियुक्ति नहीं करने को कहा है. कोर्ट ने छह मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद्द करने वाले हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली हिमाचल प्रदेश सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया है. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने संसदीय सचिव की इन नियुक्तियों को रद्द किया था.

हिमाचल सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओ को नोटिस जारी किया है और दो हफ्ते में मांगा जवाब है. सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की मांग वाली छत्तीसगढ़, पंजाब और पश्चिम बंगाल की याचिकाओं के साथ जोड़ दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जबतक कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता तब तक नई नियुक्ति नहीं होगी. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने नोटिस जारी किया है. 

हिमाचल प्रदेश ने छह संसदीय सचिवों की नियुक्ति को वैध ठहराने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है. हाई कोर्ट ने हाल ही में इसे अवैध और असंवैधानिक होने के कारण रद्द कर दिया था. हाई कोर्ट ने 13 नवंबर को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा की गई नियुक्तियों को रद्द कर दिया था और जिस कानून के तहत उनकी नियुक्ति की गई थी उसे अमान्य घोषित कर दिया था. 

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी अपील में राज्य सरकार ने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश 'कानून की दृष्टि से गलत' है और उसने उच्च न्यायालय के निर्देश पर रोक लगाने की मांग की है. यह दूसरी बार है कि पर्वतीय राज्य में मुख्य संसदीय सचिवों या संसदीय सचिवों की नियुक्तियों को रद्द किया गया है. 18 अगस्त 2005 को, उच्च न्यायालय ने आठ मुख्य संसदीय सचिवों और चार संसदीय सचिवों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था. 

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