एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा (Rehana Fathima) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से आंशिक राहत मिली है. SC ने फातिमा पर सोशल मीडिया या मीडिया में विचार रखने पर लगा गैग हटाया. शीर्ष अदालत ने केरल हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसमें फातिमा के सोशल मीडिया या मीडिया (social media/media) में विचार रखने पर रोक लगाई थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ये शर्त बरकरार रखी कि वो ऐसी कोई गतिविधि नहीं करेगी जो सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर किसी की धार्मिक भावनाओं को भड़काते हों .दरअसल दिसंबर 2018 में धार्मिक भावनाओं के आहत होने से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए पिछले साल नवंबर में केरल हाईकोर्ट ने रेहाना पर विचार व्यक्त करने को लेकर सोशल मीडिया के इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगाया था.
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रेहाना ने खाने से जुड़े शो के एक वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड किया था. वीडियो में उन्होंने दावा किया था कि वह 'गोमाता उलारथ' डिश पका रही हैं. आरोप है कि डिश की रेसिपी बताते वक्त रेहाना ने जानबूझकर कई बार इस बात का जिक्र किया कि वह 'गोमाता' का मांस पका रही हैं. पुलिस ने इस संबंध में रेहाना के खिलाफ IPC के सेक्शन 153 के तहत केस दर्ज किया था. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था, 'इस बात में कोई संशय नहीं है कि गोमाता शब्द का इस्तेमाल पवित्र गाय के लिए किया जाता है. पकाए जा रहे मांस के लिए जानबूझकर बार-बार 'गोमाता' शब्द का प्रयोग करने से हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी. कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि पकाए जा रहे मांस के लिए जानबूझकर 'गोमाता' शब्द का प्रयोग आपत्तिजनक है. ऐसा लगता है कि गलत उद्देश्य के साथ इस शब्द का इस्तेमाल किया गया.
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हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया था कि किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का कोई अधिकार नहीं है. इसके साथ ही रेहाना पर किसी भी प्रकार के मीडिया से अपने विचारों की अभिव्यक्ति करने पर रोक लगा दी थी. गौरतलब है कि रेहाना फातिमा पहले भी सुर्खियों में रह चुकी हैं. उनके खिलाफ 2018 में केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की कोशिश को लेकर केस दर्ज हुआ था और 18 दिन जेल में काटने पड़े थे. पिछले साल रेहाना ने नाबालिग बच्चों से अपने अर्द्धनग्न शरीर पर पेंटिंग करवाई और फिर उसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया था, जिसके बाद उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ था. वह 2014 में 'किस ऑफ लव' कैम्पेन का हिस्सा भी रह चुकी हैं.
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