सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 12 जनवरी को गठित एक्सपर्ट पैनल पर किसान संगठनों (Farmers Organisations) द्वारा आक्षेप लगाने पर नाराजगी जाहिर की है. बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने समिति को फैसला सुनाने का कोई अधिकार नहीं दिया है, फिर उसके पक्षपाती होने का सवाल कहां से उठता है. तीन नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) पर बने गतिरोध को समाप्त कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को चार सदस्यों की एक कमेटी गठित की थी.
इस बीच, केन्द्र सरकार ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों की 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को लेकर हस्तक्षेप करने के अनुरोध वाली याचिका बुधवार को उस वक्त वापस ले ली जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह पुलिस से जुड़ा मामला है. चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की खंडपीठ ने समिति से जुड़े मामले पर कहा कि पीठ ने समिति में विशेषज्ञों की नियुक्ति की है क्योंकि न्यायाधीश इस मामले के विशेषज्ञ नहीं हैं.
दरअसल शीर्ष अदालत ने चार सदस्यीय एक समिति गठित की थी, जिसके बाद कुछ किसान संगठनों ने आक्षेप लगाया था कि समिति के कुछ सदस्यों ने पूर्व में कृषि कानूनों का पक्ष लिया था. विवाद को देखते हुए समिति के एक सदस्य समिति से हट गए थे. पीठ ने कहा, ‘‘इसमें पक्षपाती होने का प्रश्न ही कहां हैं? हमने समिति को फैसला सुनाने का अधिकार नहीं दिया है. आप पेश नहीं होना चाहते, इस बात को समझा जा सकता है, लेकिन किसी ने अपनी राय व्यक्त की थी केवल इसलिए उस पर आक्षेप लगाना उचित नहीं. आपको किसी को इस तरह से ब्रांड नहीं करना चाहिए.''
किसानों की तरफ से प्रशांत भूषण पेश हुए थे. उन्होंने कोर्ट को बताया कि किसानों ने कमेटी के सामने पेश नहीं होने का मन बना लिया है. इस पर CJI ने कहा कि अगर आप कमिटी के समक्ष पेश नहीं होना चाहते तो हम आपको बाध्य नहीं करेंगे लेकिन आप कमिटी पर पूर्वाग्रह का आरोप नहीं लगा सकते. चीफ जस्टिस ने कहा, "आप बहुमत की राय के अनुसार लोगों को बदनाम करते हैं. अखबारों में जिस तरह की राय दिखाई दे रही है, उस पर हमें खेद है."
किसानों की ट्रैक्टर रैली पर दखल नहीं देगा सुप्रीम कोर्ट, कहा- ये पुलिस के अधिकार क्षेत्र का मामला है
खंडपीठ ने कहा,‘‘प्रत्येक व्यक्ति की राय होनी चाहिए. यहां तक कि न्यायाधीशों का भी मत होता है. यह एक संस्कृति बन गई है कि जिसे आप नहीं चाहते, उन्हें ब्रांड करना नियम बन गया है. हमने समिति को फैसला सुनाने का कोई अधिकार नहीं दिया है.''वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई के बाद केन्द्र सरकार ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों की 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को लेकर हस्तक्षेप करने के अनुरोध वाली याचिका बुधवार को उस वक्त वापस ले ली जब उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ‘‘यह पुलिस से जुड़ा मामला है.''
पीठ ने कहा कि गणतंत्र दिवस पर प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली निकालने से जुड़े मुद्दे से निपटने का अधिकार पुलिस के पास है. कोर्ट ने कहा,‘‘हम आपको बता चुके हैं कि हम कोई निर्देश नहीं देंगे. यह पुलिस से जुड़ा मामला है. हम इसे वापस लेने की अनुमति आपको देते हैं. आपके पास आदेश जारी करने के अधिकार हैं, आप करिए. अदालत आदेश जारी नहीं करेगी.'' (भाषा इनपुट्स के साथ)