बेनामी लेन-देन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 2016 के संशोधन को किया रद्द

CJI एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र द्वारा दायर याचिका पर ये फैसला सुनाया है.  हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि  2016 का संशोधन अधिनियम प्रकृति में संभावित है और वो पिछले समय के लिए लागू नहीं हो सकता.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये संशोधन मनमाना और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
नई दिल्ली:

बेनामी लेन-देन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 2016 के संशोधन को रद्द कर दिया है. कोर्ट के मुताबिक कानून को पूर्वव्यापी लागू नहीं किया जा सकता, साल 2016 के अधिनियम का केवल संभावित प्रभाव होगा. संशोधित अधिनियम से पहले की गई सभी कार्रवाइयों पर ये लागू नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये संशोधन मनमाना और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. इस तरह के प्रावधान का कोई पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं होगा. 

सुप्रीम कोर्ट ने बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 1988 की धारा 3(2) को असंवैधानिक घोषित किया है. 2016 का बेनामी लेनदेन संशोधन अधिनियम केवल संभावित रूप से लागू हो सकता है. इसे पूर्वव्यापी लागू नही किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे मनमाना होने के आधार पर असंवैधानिक घोषित किया है.

लेन-देन (निषेध) संशोधन अधिनियम, 2016 को पूर्वव्यापी  प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता. इसे एक्ट लागू होने के दिन से ही लागू किया जा सकता है. CJI एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र द्वारा दायर याचिका पर ये फैसला सुनाया है.  हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि  2016 का संशोधन अधिनियम प्रकृति में संभावित है और वो पिछले समय के लिए लागू नहीं हो सकता.

बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम भारतीय संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जो बेनामी लेनदेन का निषेध करता है. यह पहली बार 1988 में पारित हुआ तथा 2018  में इसमें संशोधन किया गया. संशोधित कानून एक नवम्बर,2016 से लागू हो गया. संशोधित बिल में बेनामी संपत्‍तियों को जब्‍त करने और उन्‍हें सील करने का अधिकार है, साथ ही, जुर्माने के साथ कैद का भी प्रावधान है.

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मूल अधिनियम में बेनामी लेनदेन करने पर तीन  साल की जेल और जुर्माना या दोनों का प्रावधान था. संशोधित कानून के तहत सजा की अवधि बढ़ाकर सात साल कर दी गई है. जो लोग जानबूझकर गलत सूचना देते हैं उन पर सम्पत्ति के बाजार मूल्य का 10 प्रतिशत तक जुर्माना भी देना पड़ सकता है. नया कानून घरेलू ब्लैक मनी खासकर रियल एस्टेट सेक्टर में लगे काले धन की जांच के लिए लाया गया है.

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