सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान स्पीकर को थमाया नोटिस, BSP के 6 MLA के कांग्रेस में विलय पर मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 13 अगस्त को राजस्थान के बीएसपी विधायकों के कांग्रेस में विलय के स्पीकर के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि फिलहाल हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है इसलिए हम इस मामले में दखल नहीं देंगे. 

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बसपा विधायकों के विलय के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष को नोटिस भेजा है.
नई दिल्ली:

राजस्थान (Rajasthan) में  6 बीएसपी विधायकों (BSP MLA) के कांग्रेस (Congress) में विलय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राजस्थान विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी (Rajasthan Speaker CP Joshi) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा  है. इनके अलावा कांग्रेस में शामिल हुए सभी 6 बीएसपी विधायकों को भी कोर्ट ने नोटिस भेजा है.  इन विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के खिलाफ बहुजन समाज पार्टी (BSP) और  BJP के एक विधायक ने याचिका दायर की है.  

अपनी याचिका में बीएसपी ने दलील दी है कि बीएसपी एक राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी है. लिहाजा, पार्टी की किसी भी यूनिट के विलय का फैसला राज्य की यूनिट नहीं कर सकती जबतक कि राष्ट्रीय इकाई  पार्टी के विलय पर मुहर न लगा दे. बता दें कि बसपा के ये विधायक सितंबर 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए थे, जिसे राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष ने 18 सितंबर 2019 को मंजूरी दी थी.

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हालांकि, पिछले साल 24 अगस्त को 6 बीएसपी विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा विधायक मदन दिलावर की याचिका खारिज कर दी थी. जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि इस मामले पर राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला आ गया है, इसलिए अब मामले में सुनवाई का कोई मतलब नहीं है.

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इस मामले की सुनवाई जैसे ही शुरु हुई थी राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. उन्होंने कहा था कि राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पीकर को बीएसपी विधायकों की अयोग्यता के मामले पर तीन महीने के अंदर फैसला करने का निर्देश दिया है.  तब कोर्ट ने कहा था कि अब इस याचिका पर सुनवाई का कोई मतलब नहीं है.

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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 13 अगस्त को राजस्थान के बीएसपी विधायकों के कांग्रेस में विलय के स्पीकर के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि फिलहाल हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है इसलिए हम इस मामले में दखल नहीं देंगे. 

सुनवाई के दौरान बीएसपी की ओर से वकील सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा था कि स्पीकर का फैसला अवैधानिक है अगर विलय को अनुमति दी गई तो जनतांत्रिक प्रक्रियाएं खत्म हो जाएंगी. तब जस्टिस गवई ने कहा था कि आपको व्हिप जारी करने से किसने रोका है?

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उधर, कांग्रेस में शामिल हो चुके राजस्थान के 6 बीएसपी विधायकों ने पिछले 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली थी. सुनवाई के दौरान बीजेपी विधायक दिलावर सिंह की ओर से वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले पर रोक लगाने की जरुरत है क्योंकि उससे विधायकों के विलय को मंजूरी मिल जाएगी. बहुजन समाज पार्टी की ओर से कहा गया था कि इन छह विधायकों को विधानसभा सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी जाए, तब कोर्ट ने कहा था कि हमें हाईकोर्ट की सुनवाई पर रोक नहीं लगानी चाहिए.

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