सुप्रीम कोर्ट की तमिलनाडु सरकार को फटकार: सेंथिल बालाजी केस में कहा- ट्रायल के लिए चाहिए क्रिकेट स्टेडियम

राज्य के रवैये पर चिंता जताते हुए, सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत ने तमिलनाडु सरकार से कहा कि जब शक्तिशाली मंत्री और धनी आरोपी शामिल होते हैं, तो "आशंका होती है कि सरकारी वकील न्याय नहीं कर पाएंगे."

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  • SC ने मंत्री सेंथिल बालाजी के नौकरी के बदले कैश मामले में 2000 से अधिक लोगों की भागीदारी पर चिंता जताई
  • कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को सभी आरोपियों और गवाहों की पूरी सूची प्रदान करने का निर्देश दिया है
  • जज सूर्यकांत ने कहा शक्तिशाली आरोपी के कारण सरकारी वकीलों द्वारा निष्पक्ष न्याय प्रदान करना चुनौतीपूर्ण है
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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी के 'नौकरी के बदले कैश' मामले में चुटकी लेते हुए कहा कि इस मामले में 2000 से ज्यादा लोग शामिल हैं और इस वजह से इस ट्रायल को चलाने के लिए एक क्रिकेट स्टेडियम की जरूरत होगी.  सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी से जुड़े 'नौकरी के बदले कैश' घोटाले में 2,000 से ज़्यादा लोगों को शामिल करने के लिए तमिलनाडु सरकार को फटकार लगाई और सभी आरोपियों और गवाहों का ब्योरा मांगा.

राज्य के रवैये पर चिंता जताते हुए, सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत ने तमिलनाडु सरकार से कहा कि जब शक्तिशाली मंत्री और धनी आरोपी शामिल होते हैं, तो "आशंका होती है कि सरकारी वकील न्याय नहीं कर पाएंगे." पीठ ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, "हमें अब भी लगता है कि यह एक ऐसा मामला है जहां तकनीकी रूप से अपराध करने वाले लोग, विश्लेषण करने पर, वास्तव में आरोपी से ज़्यादा पीड़ित हैं."

जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले को "बिना पतवार का जहाज" करार दिया. पीठ ने कहा कि अगर न्यायिक हस्तक्षेप न होता, तो "अनिच्छुक राज्य" बालाजी से जुड़े मामलों को गरिमापूर्ण ढंग से समाप्त करना चाहता था. "2000 से ज़्यादा अभियुक्तों और 500 गवाहों के साथ, यह भारत का सबसे ज़्यादा भीड़-भाड़ वाला ट्रायल होगा. निचली अदालत का एक छोटा सा कोर्ट रूम पर्याप्त नहीं होगा और अभियुक्तों की उपस्थिति दर्ज कराने के लिए भी एक क्रिकेट स्टेडियम की ज़रूरत होगी. कई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित अभियुक्त अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए अचानक आ जाएंगे".

पीठ ने वाई बालाजी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन से कहा, जो घोटाले के पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और मामलों को एक साथ जोड़ने के फ़ैसले का विरोध कर रहे थे. हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि निचली अदालत के जज किसी भी अभियुक्त को तब तक नहीं छोड़ सकते जब तक कि मामले की विस्तार से सुनवाई न हो जाए. इस मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी. 

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