'बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग में होगी. अब सुप्रीम कोर्ट की निगाह इलेक्टोरल रोल्स के रिवीजन की प्रक्रिया पर होगी', ये जानकारी SIR के खिलाफ याचिका दायर करने वाले योगेंद्र यादव ने एनडीटीवी को दी.
गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में चुनाव आयोग के बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाया.
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दिया सुझाव
हालांकि तीन घंटे से ज्यादा चली सुनवाई के दौरान सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा, 'वोटर लिस्ट के स्पेशल रिवीजन के दौरान आधार कार्ड, वोटर आईडी, राशन कार्ड को भी दस्तावेज के तौर पर स्वीकार करने पर विचार किया जा सकता है.'
सुप्रीम कोर्ट के इस प्रस्ताव पर याचिकाकर्ता योगेंद्र यादव ने कहा,
'हमने अपनी याचिका में कहा था कि चुनाव आयोग इलेक्शन रोल्स जिस तरह से रिवीजन कर रहा है वह वोट बंदी है. आम लोगों के वोट के अधिकार को छीनने की एक कोशिश है. इसलिए हमने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में दखल देने की गुजारिश की थी. आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये मामला नागरिकों के वोट के अधिकार का है. मुझे खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऑर्डर में एक सुझाव के तौर पर दर्ज किया है कि आधार, वोटर आई कार्ड और राशन कार्ड को दस्तावेजों की सूची में शामिल किया जाए'.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि उसे संदेह है कि वोटर लिस्ट के रिवीजन की प्रक्रिया एक तय टाइमफ्रेम में पूरी की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक भी वोटर का नाम अगर वोटर लिस्ट से हटता है तो उसे चुनाव आयोग को सफाई देनी पड़ेगी.
इस मामले पर चुनाव आयोग के फैसले के पक्ष में याचिका देने वाले वकील अश्वनी उपाध्याय ने एनडीटीवी से कहा,
'सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में इलेक्टोरल रोल्स के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन पर कोई रोक नहीं लगाई है. बिहार में इलेक्टोरल रोल्स के रिवीजन की प्रक्रिया जारी रहेगी. आधार किसी भी व्यक्ति की नागरिकता का पहचान नहीं हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के सामने यह प्रस्ताव रखा है कि वो आधार, राशन कार्ड और वोटर आई कार्ड को भी मतदाता सूची में रिवीजन के दौरान व्यक्ति के पहचान के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन ये चुनाव आयोग पर निर्भर करेगा कि वो इसे स्वीकार करता है या नही.'
अब इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.