दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को आज भी सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल सकी. अदालत ने शराब नीति घोटाला मामले में सीबीआई की गिरफ्तारी से उनको राहत नहीं दी है. केजरीवाल ने दिल्ली हाई कोर्ट के सीबीआई की गिरफ्तारी (CBI Arrest Kejriwal) के आदेश के बरकरार रखने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. लेकिन अदालत ने उनकी अंतरिम जमानत की मांग ठुकरा दी. कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने मामले की सुनवाई की. इस दौरान केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा, यहां देखें.
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- केजरीवाल के वकील- ये बहुत आश्चर्यजनक केस है. PMLA केस में दस मई को अंतरिम जमानत मिली. फिर जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी.
- सीबीआई केस में निचली अदालत ने जमानत दी. इस तरह तीन जमानत आदेश दिए गए.
- केजरीवाल के वकील- सिंघवी ने कहा कि ये इंश्योरेंस अरेस्ट है. हमने अंतरिम जमानत मांगी है.
- सुप्रीम कोर्ट- हम अंतरिम जमानत नहीं देंगे. CBI को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है, इस पर सुनवाई 23 अगस्त को होगी.
- केजरीवाल के वकील- केस दर्ज होने के 1 साल 10 महीने बादऔर सबूत इकट्ठा करने के कई महीने बाद सीबीआई केस में गिरफ्तारी कानून के मुताबिक स्वीकार्य नहीं है. इससे दुर्भावना की बू आती है.
- केजरीवाल के वकील- हमने अंतरिम जमानत के लिए याचिका दायर की है. वह ट्रिपल टेस्ट आसानी से पास कर लेंगे. कम से कम एक छोटी सी तारीख तो आसानी से पास कर लेंगे.
- सुप्रीम कोर्ट- अंतरिम जमानत मत कहो, हम अंतरिम जमानत नहीं देंगे. सीबीआई को नोटिस जारी किया है. 23 अगस्त को अगली सुनवाई होगी.
हाई कोर्ट ने CBI की गिरफ्तारी को रखा था बरकरार
इस तरह से केजरीवाल को एक बार फिर से अदालत से झटका लगा है. ईडी मामले में तो उनको पहले ही जमानत मिल चुकी है. लेकिन सीबीआई केस में उनको अब तक जमानत नहीं मिली है. दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को 5 अगस्त को बरकरार रखा था. कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई के कृत्यों में कोई दुर्भावना नहीं है, जिसने दिखाया है कि आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख कैसे उन गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, जो उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाही देने का साहस जुटा सकते हैं.हाई कोर्ट पहले ही उनकी जमानत याचिका ठुकरा चुकी है, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.
"सीबीआई के कृत्य में दुर्भावना नहीं"
हाई कोर्ट ने कहा था कि अरविंद केजरीवाल कोई साधारण नागरिक नहीं, बल्कि मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और आम आदमी पार्टी के संयोजक हैं. गवाहों पर उनका कंट्रोल और प्रभाव है. प्रथम दृष्टया इस तथ्य से पता चलता है कि ये गवाह उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाह बनने का साहस जुटा सके, जैसा कि विशेष अभियोजक ने उजागर किया है. ये भी पचा चलता है कि उनकी गिरफ्तारी के बाद प्रासंगिक साक्ष्य एकट्ठा करने के बाद सबूतों का चक्र बंद हो गया. सीबीआई के काम से किसी भी तरह की की दुर्भावना का पता नहीं लगाया जा सकता है.