सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार के 12 वीं परीक्षा आयोजित करने के फैसले पर सवाल उठाए हैं. अदालत ने फाइल नोटिंग दाखिल करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने पूछा कि बताएं कि किसने ये फैसला लिया. क्या फैसला लेने से पहले महामारी के सारे हालात की जांच की गई. एक भी मौत हुई तो हम एक करोड़ के मुआवजे का आदेश दे सकते हैं. जब अन्य बोर्डों ने परीक्षा रद्द कर दी तो एपी अलग क्यों दिखाना चाहता है. अदालत ने राज्य सरकार को अदालत को सूचित करने का निर्देश दिया कि परीक्षा में शामिल होने वाले 5.20 लाख छात्रों के लिए लगभग 34,000 कमरे कैसे उपलब्ध कराए जाएंगे? सरकार ने कहा है एक कमरे में 15 से 18 छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति होगी. अब इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परीक्षा ही नहीं, सबकी सेहत का सवाल भी है. अदालत ने नए वेरियंट डेल्टा प्लस का भी हवाला दिया. कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र, केरल और एमपी में नया वेरिएंट डेल्टा प्लस मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अन्य बोर्डों ने जमीनी हकीकत के आधार पर सचेत निर्णय लिया है.
कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार से ये भी पूछा कि इम्तिहान के दौरान पर्यवेक्षक शिक्षक, सहायक कर्मचारी भी परीक्षा कक्ष में रहेंगे. आप सभी के लिए हवा और रोशनी के आने जाने यानी वेंटिलेशन का समुचित इंतजाम कैसे करेंगे बताइए? सिर्फ ये कहने भर से काम नहीं चलेगा कि हम इम्तिहान कराने जा रहे है. आपको ये भी स्पष्ट करना पड़ेगा कि कैसे कराएंगे?
छात्रों और स्कूल स्टाफ की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा को कैसे सुनिश्चित करेंगे?
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य शिक्षा बोर्ड परीक्षा को यूनिफार्म करने की मांग ठुकरा दी है. एक समान नीति के लिए दायर याचिका पर कोई निर्देश जारी करने से साफ इंकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि राज्य और उनके बोर्ड अपनी नीति बनाने को स्वतंत्र और स्वायत्त हैं. लिहाज़ा उनके अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा -हम ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं करने जा रहे हैं. राज्य बोर्ड स्वायत्त हैं. उनकी अपनी नीति हो सकती है.
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि आंध्र प्रदेश राज्य ने 12वीं की परीक्षा रद्द नहीं की. केरल राज्य ने 11वीं की परीक्षा रद्द नहीं की. भारत भर के सभी राज्यों में मूल्यांकन के लिए एक समान नीति या योजना हो.