'असंवैधानिक और मनमाना' : महाराष्ट्र के 12 बीजेपी MLAs के सालभर के निलंबन को SC ने किया रद्द

महाराष्ट्र विधानसभा से 12 BJP विधायकों का एक साल के लिए निलंबन सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रद्द कर दिया.  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये निलंबन असंवैधानिक और मनमाना है.

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बीजेपी विधायकों का ये निलंबन मनमाना : शीर्ष न्यायालय (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र विधानसभा से 12 BJP विधायकों का एक साल के लिए निलंबन (12 BJP MLAs Suspension) सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि ये निलंबन असंवैधानिक और मनमाना है. SC ने फैसले में कहा कि ये निलंबन जुलाई 21 में चल रहे मानसून सत्र के लिए ही हो सकता था. वहीं, बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है.

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 19 जनवरी को मैराथन सुनवाई के बाद BJP विधायकों की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा विधायकों का एक साल का निलंबन सही है या नहीं. शीर्ष न्यायालय ने आज अपना फैसला सुनाया. 

बीजेपी विधायकों के निलंबन को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने स्वागत करते हुए कहा कि हम जनता के हक में लड़ाई लड़ते रहेंगे. उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र में OBC वर्ग के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे महाराष्ट्र बीजेपी के 12 विधायकों के निलंबन को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हृदय से स्वागत करता हूं. भाजपा सदैव भारतीय संविधान और लोकतंत्र के अंतर्गत, जनता के हक की लड़ाई लड़ती आई है.

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उन्होंने ट्वीट किया, "महा विकास अघाड़ी सरकार के संविधान और लोकतंत्र के विरुद्ध कार्यों को माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोका जाना, सत्य की विजय है. मैं सभी 12 विधायकों को बधाई देता हूं. भाजपा, महाराष्ट्र सरकार की गैर संवैधानिक गतिविधियों के खिलाफ निरंतर आवाज उठाती रहेगी."

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अदालत ने पक्षकारों को एक हफ्ते में लिखित दलीलें देने को कहा था. हालांकि, सुनवाई के दौरान कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के एक साल के निलंबन पर तीखी टिप्पणी की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये फैसला लोकतंत्र के लिए खतरा है और तर्कहीन है. पीठ ने महाराष्ट्र राज्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील आर्यमा सुंदरम से सत्र की अवधि से आगे निलंबन की तर्कसंगतता के बारे में कड़े सवाल किए थे.

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जस्टिस खानविलकर ने अपनी टिप्पणी में कहा था, "जब आप कहते हैं कि कार्रवाई तर्कसंगत होनी चाहिए, तो वहां निलंबन का कुछ उद्देश्य होना चाहिए और उद्देश्य सत्र के संबंध में है. इसे उस सत्र से आगे नहीं जाना चाहिए. इसके अलावा कुछ भी तर्कहीन होगा. असली मुद्दा निर्णय की तर्कसंगतता के बारे में है और वही किसी उद्देश्य के लिए होना चाहिए कोई भारी कारण होना चाहिए. 6 महीने से अधिक समय तक निर्वाचन क्षेत्र से वंचित रहने के कारण आपका 1 वर्ष का फैसला तर्कहीन है. हम अब संसदीय कानून की भावना के बारे में बात कर रहे हैं. यह संविधान की व्याख्या है जिस तरह से इससे निपटा जाना चाहिए." 

जस्टिस सीटी रविकुमार ने कहा था कि एक और बात चुनाव आयोग को भी मिली. जहां रिक्ति होगी, वहां चुनाव होना है. निलंबन के मामले में, चुनाव नहीं होगा, लेकिन अगर किसी व्यक्ति को निष्कासित कर दिया जाता है तो चुनाव आयोजित किया जाएगा. ये लोकतंत्र के लिए खतरा है. मान लीजिए बहुमत की एक छोटी बढ़त है, और 15/20 लोगों को निलंबित कर दिया जाता है, तो लोकतंत्र का भाग्य क्या होगा?

निलंबित किए गए BJP विधायक
निलंबित किए गए 12 भाजपा विधायकों में आशीष शेलार, गिरिश महाजन, अभिमन्यु पवार, अतुल भातखलकर, नारायण कुचे, संजय कुटे, पराग अलवणी, राम सातपुते, हरीश पिंपले, जयकुमार रावल, योगेश सागर और कीर्ति कुमार बागडिया के नाम शामिल हैं.

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