सुप्रीम कोर्ट ने अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान को पोस्ट करने की छूट दी, SIT को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एसआईटी की धीमी गति और जांच के भटकते रुख को लेकर नाराजगी जताई. बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जो काम दो दिन में हो सकता है, उसके लिए दो महीने क्यों चाहिए?

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  • सुप्रीम कोर्ट ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ विवादित पोस्ट की जांच के लिए गठित SIT की कार्यप्रणाली पर आपत्ति जताई.
  • अदालत ने एसआईटी को जांच का दायरा केवल दो एफआईआर तक सीमित रखने और चार हफ्ते में जांच पूरी करने का निर्देश दिया है.
  • सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा जारी रखी और सोशल मीडिया पर पोस्ट करने की भी अनुमति दे दी.
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नई दिल्ली:

'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित सोशल मीडिया पोस्ट लिखने के मामले की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या की बेंच ने एसआईटी को फटकार लगाते हुए कहा कि उन्हें आरोपी की नहीं, एक डिक्शनरी की ज़रूरत है. अदालत ने ये बात आरोपी अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को फिर से तलब करने की मांग पर कही. सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को चार हफ्तों में जांच पूरी करने का आदेश दिया है और उसका दायरा सिर्फ दो एफआईआर तक सीमित कर दिया है.

SIT को सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एसआईटी की धीमी गति और जांच के भटकते रुख को लेकर नाराजगी जताई. बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जो काम दो दिन में हो सकता है, उसके लिए दो महीने क्यों चाहिए? एसआईटी खुद को गलत दिशा में क्यों ले जा रही है, उसकी जांच का दायरा सिर्फ दो एफआईआर तक सीमित है. अदालत ने एसआईटी को याद दिलाया कि उसका गठन खासतौर से यह जांचने के लिए किया गया है कि क्या पोस्ट में इस्तेमाल किए गए शब्दों से कोई अपराध बनता है, न कि कोई भटकती हुई जांच शुरू करने के लिए.

जांच का दायरा सीमित, प्रोफेसर खान को राहत

सोशल मीडिया पोस्ट करने के आरोपी प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ दो समुदायों में नफरत भड़काने की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है. प्रोफेसर खान ने अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सुप्रीम कोर्ट पहले ही उन्हें शर्तों के साथ जमानत दे चुका है. मामले की जांच के लिए एसआईटी भी बनाई है. 

अदालत ने स्पष्ट किया कि एसआईटी की जांच का दायरा सिर्फ पहलगाम हमले को लेकर दो फेसबुक पोस्ट की भाषा और विषय-वस्तु तक सीमित होना चाहिए. बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता पहले ही जांच में शामिल हो चुके हैं. उनके लैपटॉप, फोन जैसे उनके उपकरणों की जांच हो चुकी है. ऐसे में प्रोफेसर को दोबारा तलब करना जरूरी नहीं है. कोर्ट ने सवाल उठाया कि आखिर SIT ने इस जांच के लिए लैपटॉप, फोन जैसे डिवाइस को जब्त क्यों किया?

प्रोफेसर को गिरफ्तारी से सुरक्षा, पोस्ट करने की छूट

सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को गिरफ्तारी से मिली अंतरिम सुरक्षा जारी रखने का आदेश दिया. इसके साथ ही प्रोफेसर खान को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने की इजाजत भी दे दी, लेकिन शर्त रखी कि वे लंबित मामले पर कोई पोस्ट नहीं करेंगे.

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सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से यह भी पूछा था कि उसने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सामने क्या जवाब दिया था जिससे इस मामले की गंभीरता और व्यापकता का संकेत मिलता है.
 

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