'काटने के लिए नहीं, बचाने के लिए हैं कानून' : दिल्ली में पेड़ों की कटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्री अफसर द्वारा 50 या उससे अधिक पेड़ों को काटने की अनुमति दिए जाने के बाद CEC द्वारा मंजूरी दिए जाने तक उस पर कार्रवाई नहीं की जाएगी.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
'काटने के लिए नहीं, बचाने के लिए हैं कानून' : दिल्ली में पेड़ों की कटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में पेड़ों की गणना की जाएगी और 50 या उससे अधिक पेड़ों को काटने के किसी भी अनुरोध को केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) मंजूरी देगी. न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने दिल्ली वृक्ष प्राधिकरण से कहा कि वह गणना के लिए वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) और विशेषज्ञों की सहायता ले.

जस्टिस एएस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने दिल्ली ट्री अथॉरिटी से कहा कि वह गणना के लिए वन अनुसंधान संस्थान (FRI) और विशेषज्ञों की सहायता लें. पीठ ने कहा कि पेड़ हमारे पर्यावरण का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. एहतियाती सिद्धांत के तहत सरकार को पर्यावरण नुकसान के कारणों का अनुमान लगाना, उन्हें रोकना और उनका उन्मूलन करना चाहिए, जिसमें उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना भी शामिल है.

कोर्ट ने कहा कि ट्री अफसर द्वारा 50 या उससे अधिक पेड़ों को काटने की अनुमति दिए जाने के बाद CEC द्वारा मंजूरी दिए जाने तक उस पर कार्रवाई नहीं की जाएगी. पेड़ों की गणना तीन विशेषज्ञों - सेवानिवृत्त IFS अधिकारी ईश्वर सिंह और सुनील लिमये के अलावा पेड़ विशेषज्ञ प्रदीप सिंह की सहायता से की जाएगी.

Advertisement

पीठ ने CEC को निर्देश दिया कि वह पेड़ों की कटाई के दस्तावेजों पर विचार करे और तय करे कि अनुमति दी जाए या किसी संशोधन की जरुरत है. दस्तावेज प्राप्त होने पर, CEC  वृक्ष अधिकारी को अतिरिक्त दस्तावेज प्राप्त करने के लिए बुला सकता है. CEC आवेदन और अन्य सभी पहलुओं पर विचार करेगा और तय करेगा कि अनुमति दी जानी चाहिए या कुछ नियमों और शर्तों के साथ दी जानी चाहिए. हम यह स्पष्ट करते हैं कि 50 या अधिक पेड़ों को गिराने की अनुमति देते समय, जब तक कि कोई अपवाद न हो, पेड़ लगाने की शर्त लगाई जानी चाहिए. अन्यथा, कटाई की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

Advertisement

दरअसल, अदालत ने 18 दिसंबर को कहा था कि पेड़ों पर कानून उन्हें बचाने के लिए हैं, न कि उन्हें काटने के लिए. उन्हें बचाने के लिए कदम उठाने के आदेश पारित करने का संकेत दिया. यह मुद्दा 1985 में दायर पर्यावरणविद् एमसी मेहता की जनहित याचिका से उत्पन्न हुआ है. पीठ ने हाल ही में हरित आवरण को बढ़ाने के लिए कदम उठाने में प्रगति की कमी के लिए दिल्ली सरकार की आलोचना की थी और कहा था कि वह इसे बढ़ाने के उपाय सुझाने के लिए एक बाहरी एजेंसी नियुक्त करेगी.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Pahalgam Terror Attack: अलर्ट के बाद सुरक्षाबालो का तलाशी अभियान जारी | NDTV India
Topics mentioned in this article