- चेन्नई के NCLAT के न्यायिक सदस्य जस्टिस शरद कुमार शर्मा ने एक उच्च न्यायपालिका सदस्य के फोन का खुलासा किया
- शर्मा ने दिवालियापन मामले में एक पक्ष के पक्ष में आदेश मांगने वाले फोन के कारण खुद को सुनवाई से अलग किया
- SC ने मामले की जांच के लिए सेक्रेटरी जनरल को जिम्मेदारी सौंपी है और फोन करने वाले की पहचान तय की जाएगी
चेन्नई स्थित राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां के न्यायिक सदस्य जस्टिस शरद कुमार शर्मा ने दावा किया है कि उन्हें एक दिवालियापन मामले में "देश की उच्च न्यायपालिका के सबसे सम्मानित सदस्यों में से एक" की ओर से फोन आया, जिसमें एक पक्ष के लिए अनुकूल आदेश की मांग की गई. इस खुलासे के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच के आदेश दे दिए हैं.
सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है. यह पता लगाया जाएगा कि फोन करने वाला व्यक्ति किसी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का जज था या नहीं. जांच रिपोर्ट के बाद ही आगे की कार्रवाई तय होगी.
यह मामला तब सामने आया जब NCLAT के न्यायिक सदस्य जस्टिस शरद कुमार शर्मा ने 13 अगस्त को मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. उन्होंने आदेश में दर्ज किया कि उनसे एक खास पक्ष के हक में आदेश देने के लिए संपर्क किया गया था, जिससे वह आहत हैं.
पीठ के दूसरे सदस्य, तकनीकी सदस्य जतिंद्रनाथ स्वैन के साथ जस्टिस शर्मा ने इस घटनाक्रम पर गहरी पीड़ा जताई. आदेश में कहा गया कि मामले की सुनवाई के लिए इसे अब किसी अन्य पीठ के पास भेजा जाए. NCLAT के 13 अगस्त के आदेश में स्पष्ट लिखा गया "हमें दुख है कि हममें से एक सदस्य से इस देश की उच्च न्यायपालिका के एक सम्मानित सदस्य ने एक पक्ष के पक्ष में आदेश दिलाने के लिए संपर्क किया. इसलिए मैं इस मामले से खुद को अलग करता हूं.
अब इस पूरे मामले पर सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट की जांच पर टिकी है, जो तय करेगी कि आखिर सच क्या है और फोन करने वाला व्यक्ति कौन था.
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