प्रेग्नेंट महिला को बांग्लादेश भेजने के मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, कलकत्ता हाईकोर्ट को दिए ये निर्देश

 वकील ने अदालत से कहा कि कोई भी अधिकारी किसी व्यक्ति को बिना यह तय किए कैसे निकाल सकता है कि वह विदेशी है या नहीं. बांग्लादेशी सरकार के साथ कोई समझौता होना चाहिए.

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कलकत्ता हई कोर्ट को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
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  • सुप्रीम कोर्ट ने बीबीनगर की गर्भवती महिला मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट को जल्द फैसला सुनाने का निर्देश दिया है.
  • महिला को केंद्र की पुश-बैक पॉलिसी के तहत बिना सबूत बांग्लादेश भेजे जाने का आरोप लगाया गया है.
  • वकील प्रशांत भूषण ने बताया कि नोटिस जारी होने के बाद भी कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है.
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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट को सुनाली बीबीनगर नामक गर्भवती महिला के मामले में जल्द फैसला सुनाने का निर्देश दिया है. इस बंगाली भाषी गर्भवती महिला को कथित तौर पर केंद्र की 'पुश-बैक पॉलिसी' के तहत भारत से बांग्लादेश भेज दिया गया था. सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि नोटिस तो दिए गए हैं, लेकिन कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है.

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प्रशांत भूषण की अदालत में दलील

प्रशांत भूषण ने अदालत को बताया कि जिन महिलाओं को बाहर निकाला गया था, उनमें से एक के परिवार ने कलकत्ता हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी. नोटिस जारी होने के बाद, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने हाईकोर्ट जाकर कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. इस तरह सुनवाई स्थगित करवा दी गई. उन्होंने कहा कि इस महिला को  बिना किसी सबूत के जबरन देश से निकाल दिया गया है. वे कह रहे हैं कि बंगाली भाषा बांग्लादेशी भाषा है इसलिए बंगाली बोलने वाले लोग बांग्लादेशी हैं.

जबरन दूसरे देश नहीं भेज सकते

 वकील ने अदालत से कहा कि कोई भी अधिकारी किसी व्यक्ति को बिना यह तय किए कैसे निकाल सकता है कि वह विदेशी है या नहीं. बांग्लादेशी सरकार के साथ कोई समझौता होना चाहिए. आम तौर पर किसी को उसके साथ समझौता किए बिना दूसरे देश में नहीं भेजा जा सकता. आप उस देश की सहमति के बिना किसी को जबरन दूसरे देश में नहीं भेज सकते.वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के लिए लंबित मामला उच्च न्यायालय को निर्वासित व्यक्तियों के मामले की सुनवाई करने से नहीं रोकता है.

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