कोविड-19 की दूसरी लहर में रिहा कैदी अगले आदेश तक नहीं करेंगे आत्मसमर्पण : SC

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि राज्यों में कोई समान मानदंड नहीं है. राज्यों को यह बताना होगा कि क्या उन्होंने पैरोल देते समय उम्र, कई बीमारियों जैसे कारकों पर विचार किया है.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सभी राज्‍य बताएं कैदियों की रिहाई के संबंध में 7 मई का आदेश कैसे लागू किया गया
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
रिपोर्ट में बताएं, 7 मई के आदेश को कैसे लागू किया
कैदियों को रिहा करने के मामले में क्‍या मानदंड अपनाए गए
रिहा कैदियों को अगले आदेश तक 'समर्पण' के लिए नहीं कहा जाए
नई दिल्ली:

कोरोना के चलते जेलों से कैदियों की रिहाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आदेश दिया है कि 7 मई के आदेश के अनुसार राज्यों की उच्चाधिकार प्राप्त समितियों द्वारा रिहा किए गए सभी कैदियों (Release of prisoners) को अगले आदेश तक आत्मसमर्पण करने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए. इसके साथ ही SC ने सभी राज्य सरकारों को अगले शुक्रवार तक एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिसमें बताया जाएगा कि 7 मई के आदेश को कैसे लागू किया गया और HPC द्वारा COVID स्थिति को ध्यान में रखते हुए आपातकालीन पैरोल पर कैदियों को रिहा करने के लिए क्या मानदंड अपनाए गए?

''सरकार की कोई जवाबदेही नहीं'' : राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट के 5 तीखे कमेंट

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि राज्यों में कोई समान मानदंड नहीं है. राज्यों को यह बताना होगा कि क्या उन्होंने पैरोल देते समय उम्र, कई बीमारियों जैसे कारकों पर विचार किया है. प्रधान न्‍यायाधीश (CJI) एनवी रमना, जस्टिस नागेश्वर राव और जस्टिस एएस बोपन्ना की तीन न्यायाधीशों की बेंच कोविड महामारी के दौरान जेलों की भीड़भाड़ कम करने के संबंध में अपने मामले की सुनवाई कर रही थी.

Featured Video Of The Day
News Reels: India Pakistan Ceasefire | India Pakistan | Bangladesh | Yemen | US | Russia | War News
Topics mentioned in this article