सुप्रीम कोर्ट ने लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पर फैसला रखा सुरक्षित

मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे (Chief Justice Sharad Arvind Bobde) की अगुवाई वाली बेंच इस बात की जांच कर रही है कि पक्षियों को बचाने के लिए ओवरहेड पावर लाइनों को भूमिगत केबल लाइनों से बदला जा सकता है या नहीं.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:

बिजली की लाइनों से टकराने के कारण गंभीर रूप से लुप्तप्राय (Critically Endangered) ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला सुरक्षित रखा है. ये बिजली लाइनें  गुजरात और राजस्थान राज्यों में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के प्राकृतिक आवास से गुजरती हैं. मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे (Chief Justice Sharad Arvind Bobde) की अगुवाई वाली बेंच इस बात की जांच कर रही है कि पक्षियों को बचाने के लिए ओवरहेड पावर लाइनों को भूमिगत केबल लाइनों से बदला जा सकता है या नहीं.

अनिल देशमुख और महाराष्ट्र सरकार के SC जाने से पहले ही कैविएट दाखिल, वकील ने कहा- 'हमारी भी सुनें'

अदालत ने एक वैकल्पिक तंत्र भी खोजा है, जिसमें पक्षियों को बिजली लाइनों से दूर रखने के लिए फ्लाइट बर्ड डायवर्टर स्थापित किये जा सकते हैं, लेकिन यह एक लागत प्रभावी तरीका नहीं है. इस मामले में, अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल बिजली मंत्रालय के लिए पेश हुए और उन्होंने कहा कि केवल लो वोल्टेज लाइनों को बदला जा सकता है लेकिन हाई वोल्टेज केबल्स को नहीं.

दिल्‍ली दंगा: दिल्‍ली पुलिस की याचिका पर SC का तीन आरोपियों को नोटिस, HC ने इन आरोपियों को दी है जमानत

इंडियन बस्टर्ड का वैज्ञानिक नाम अर्डोटिस नाइग्रिसेप्स (Ardeotis nigriceps) है. यह पक्षी भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है. यह एक विशाल पक्षी है, यह दिखने में शुतुरमुर्ग जैसा है. यह सबसे भारी उड़ने वाले पक्षियों में से एक है. यह पक्षी कभी भारतीय उपमहाद्वीप के सूखे मैदानों में आम था. लेकिन यह 2011 में इसकी संख्या घटकर 250 रह गयी जो 2018 में और घटकर 150 हो गयी. इस पक्षी को “गंभीर रूप से लुप्तप्राय” के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित है.

Video : धर्मस्थल से जुड़े विवादों के कानून के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया नोटिस

Featured Video Of The Day
Allu Arjun News: Telugu Superstar का सड़क से सदन तक विरोध