सुप्रीम कोर्ट ने ED निदेशक संजय मिश्रा के सेवा विस्तार को अवैध करार दिया

सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के डायरेक्टर के तौर पर संजय मिश्रा का कार्यकाल को घटाया. अब कार्यकाल 31 जुलाई तक रहेगा जबकि उन्हें 18 नवंबर को रिटायर होना था.

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को फैसला सुनाया कि ईडी के निदेशक संजय मिश्रा का सेवा विस्तार अवैध है. कोर्ट ने संजय मिश्रा को 31 जुलाई तक ED निदेशक के पद पर रखने को कहा है. कोर्ट ने ईडी के डायरेक्टर के तौर पर कार्यकाल को घटा दिया. अब संजय मिश्रा का कार्यकाल 31 जुलाई तक ही रहेगा, जबकि उन्हें 18 नवंबर को रिटायर होना था. तीसरी बार केंद्र सरकार ने उनका कार्यकाल बढ़ाया था.

सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले पर कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, "मेरे द्वारा दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार द्वारा ED डायरेक्टर को लगातार दिए गए सेवा विस्तार को, पूरी तरह अवैध ठहराया है. दरअसल विपक्ष के जरिए लगातार उठती जनता की आवाज को दबाने, राज्यों में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई विपक्षी सरकारों को अस्थिर करने और विपक्ष के नेताओं को डरा धमकाकर अपनी पार्टी में शामिल कराने के लिए.. मोदी सरकार जांच एजेंसियों को कैसे बीजेपी के फ्रंटल इकाई की तरह इस्तेमाल करती आ रही है, ये पूरा देश देख रहा है. आज सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले ने भी फिर से साबित किया है कि मोदी सरकार.. संविधान और कानून को ताक पर रखकर, दिनदहाड़े लोकतंत्र का गला घोंटने में जुटी है. मेरे विचार में माननीय सुप्रीम कोर्ट को ED व CBI डायरेक्टर के एक्सटेंशन के क़ानून की वैधता को सही ठहराने वाले निर्णय पर भी पुनर्विचार करने की आवश्यकता है."

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि केंद्र 15 दिनों में नया ED निदेशक तलाश करे. कोर्ट ने केंद्र को राहत देते हुए कहा कि ED और CBI निदेशक के सेवा विस्तार के नियम वाले कानून में संशोधन सही है, लेकिन मिश्रा का तीसरी बार सेवा विस्तार अवैध है.

ED निदेशक संजय मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने 2021 में आदेश दिया था कि उनका कार्यकाल आगे न बढ़ाया जाए. इसके बावजूद उन्हें तीसरा विस्तार दिया गया, जो अवैध है, इसलिए अब वह 31 जुलाई तक ही अपने पद पर रह सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र के पास कानून में संशोधन का अधिकार है. जब उच्चाधिकार प्राप्त समिति फैसला लेगी तो सेवा विस्तार किया जा सकता है. यहां पर सुरक्षा उपाय मौजूद हैं. विस्तार केवल पीएम, नेता प्रतिपक्ष और CJI की कमेटी ही कर सकती है. विधायिका अदालत के जजमेंट का आधार ले सकती है, लेकिन विशिष्ट परमादेश का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है.

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