सुप्रीम कोर्ट में आम लोगों के मामले की सुनवाई न होने के आरोप पर CJI ने दिया ये जवाब

CJI ने नेदुम्पारा को संविधान पीठ के हालिया मामले के बारे में बताया, जिसके नतीजे का देशभर में कई चालकों की आजीविका पर असर पड़ेगा. पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे.

विज्ञापन
Read Time: 26 mins

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने शुक्रवार को इस आरोप को खारिज कर दिया कि वह आम नागरिकों की बात नहीं सुनता है और कहा कि वह अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मुद्दे पर ‘राष्ट्र की आवाज' और कश्मीर के व्यक्तियों की आवाज सुन रहा है.सुप्रीम कोर्ट ने यह बात वकील मैथ्यूज नेदुम्पारा की ओर से शीर्ष अदालत को लिखे ईमेल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही. ईमेल में नेदुम्पारा ने दावा किया था कि शीर्ष अदालत केवल संविधान पीठ के मामलों की सुनवाई कर रही है, जिसमें कोई सार्वजनिक हित शामिल नहीं है तथा वह आम नागरिकों के मामले नहीं सुन रही है.

सुप्रीम कोर्ट को लिखे गए ईमेल पर वकील को मिला जवाब

चीफ जस्टिस (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली वाली पीठ ने कहा, ‘‘ नेदुम्पारा, मैं आपके साथ इस मुद्दे में शामिल नहीं होना चाहता, लेकिन महासचिव ने मुझे आपके द्वारा सुप्रीम कोर्ट को लिखे गए ईमेल के बारे में सूचित किया है, जिसमें आपने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को संविधान पीठ के मामलों की सुनवाई नहीं करनी चाहिए और केवल गैर संविधान पीठ मामलों की सुनवाई करनी चाहिए.''

हम राष्ट्र की आवाज़ सुन रहे हैं: CJI

नेदुम्पारा ने स्वीकार किया कि उन्होंने शीर्ष अदालत को ईमेल लिखा था और कहा कि गैर संवधान पीठ के मामलों से उनका तात्पर्य 'आम लोगों के मामलों' से है. CJI ने संविधान पीठ के मामलों के महत्व पर जोर देते हुए कहा, ‘‘मैं आपको बस यह बताना चाहता था कि ऐसा लगता है कि आपको नहीं पता कि संविधान पीठ के मामले क्या हैं और आप संविधान पीठ के मामलों के महत्व से अनभिज्ञ प्रतीत होते हैं, जिनमें अक्सर संविधान की व्याख्या शामिल होती है, जो भारत में कानूनी ढांचे की नींव बनाती है.''

Advertisement

उन्होंने कहा, ‘‘आप अनुच्छेद 370 के बारे में सोच सकते हैं - यह मुद्दा प्रासंगिक नहीं है. मुझे नहीं लगता कि सरकार या उस मामले में याचिकाकर्ताओं को ऐसा लगता है. अनुच्छेद 370 मामले में हमने व्यक्तियों के समूहों और हस्तक्षेप करने वालों को सुना जो घाटी से आए थे और हमारे समक्ष अपनी बात रखी. इसलिए, हम राष्ट्र की आवाज़ सुन रहे हैं.''

Advertisement

शीर्ष अदालत ने 16 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद, तत्कालीन राज्य जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पांच सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

Advertisement

MSME कंपनी की याचिका पर विचार करने से इनकार का मामला

यह मामला तब सामने आया जब शीर्ष अदालत ने एक सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम या एमएसएमई(MSME) कंपनी द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसके लिए नेदुम्पारा पेश हुए थे. इसने इस आधार पर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया कि याचिकाकर्ता ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती नहीं दी और इसके बजाय मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया. आदेश जारी होने के बाद निकलते समय नेदुम्पारा ने कहा कि अदालत को छोटे व्यवसाय उद्यमों का ध्यान रखना चाहिए, इस टिप्पणी के बाद सीजेआई चंद्रचूड़ ने उनके द्वारा शीर्ष अदालत को लिखे गए ईमेल के बारे में सवाल किया.

Advertisement

CJI ने संविधान पीठ के हालिया मामले का किया जिक्र

सीजेआई ने नेदुम्पारा को संविधान पीठ के हालिया मामले के बारे में बताया, जिसके नतीजे का देशभर में कई चालकों की आजीविका पर असर पड़ेगा. पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पीठ ने नेदुम्पारा से कहा, ‘‘संविधान पीठ के सभी मामले आवश्यक रूप से संविधान की व्याख्या नहीं हैं. यदि आप परसों हमारी अदालत में आते और बैठते तो आपको पता चलता कि हम एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रहे थे जो पूरे देश में सैकड़ों और हजारों चालकों की आजीविका से संबंधित था. मुद्दा यह था कि क्या हल्के मोटर वाहन चलाने का लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति वाणिज्यिक वाहन चला सकता है.''

आलोचना के बाद वकील ने अदालत की प्रशंसा की

सीजेआई चंद्रचूड़ ने वकील से कहा कि वह 'अपने दिमाग से इस बात को निकाल दें' कि शीर्ष अदालत की संविधान पीठ 'केवल कुछ पसंदीदा' मामलों की सुनवाई कर रही है, जिनका आम लोगों के जीवन पर कोई असर नहीं है.' अदालत की आलोचना का सामना करने के बाद, नेदुम्पारा ने कहा कि वह डिजिटल तरीके से सुनवाई को सक्षम बनाने का अच्छा काम करने के लिए अदालत को सलाम करते हैं, जिससे वकीलों और वादकारियों को काफी फायदा हुआ.

Featured Video Of The Day
Chess Super Champions: Viswanathan Anand और Divya Deshmukh एक साथ | NDTV Super Exclusive
Topics mentioned in this article