रिटायरमेंट के दिन भावुक हुए सुप्रीम कोर्ट के जज, विदाई भाषण के दौरान गुनगुनाया राज कपूर की फिल्म का गाना

इस मौके पर CJI ने कहा कि मैं जब सीजेआई के तौर पर इस पावन अवसर की अध्यक्षता से मुक्त होऊंगा, तब शाम को आप लोगों को कुछ मजेदार किस्से सुनाऊंगा. शाम को फिर मैं आपसे न्यायमूर्ति शाह के मित्र के रूप में बात करूंगा.

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सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एमआर शाह हुए रिटायर

सुप्रीम कोर्ट के चौथे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश एम आर शाह सोमवार को रिटायर हो गए. उनके रिटायरमेंट के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जस्टिस एमआर शाह इस दौरान भावुक हो गए. उन्होंने अपने विदाई भाषण में कहा कि वह सेवानिवृत्त होने वाले व्यक्ति नहीं हैं तथा वह जीवन में एक नयी पारी की शुरुआत करेंगे.प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली एक रस्मी पीठ में शामिल न्यायमूर्ति शाह अपने संबोधन के अंत में रो पड़े. उन्होंने राज कपूर के मशहूर गीत की पंक्तियां ‘‘जीना यहां, मरना यहां'' भी गुनगुनाया.

न्यायमूर्ति शाह ने कहा कि मैं सेवानिवृत्त होने वाला व्यक्ति नहीं हूं और मैं अपने जीवन की एक नयी पारी की शुरुआत करने जा रहा हूं. मैं ईश्वर से प्रार्थना कर रहा हूं कि वह मुझे नई पारी खेलने के लिए शक्ति और साहस व अच्छा स्वास्थ्य दें. विदाई से पहले मैं राज कपूर के एक गीत को याद करना चाहता हूं. यह कहने के बाद उन्होंने ‘कल खेल में हम हो न हो, गर्दिश में तारे रहेंगे सदा'गाया. 

दो नवंबर 2018 को उच्चतम न्यायालय में नियुक्त हुए न्यायमूर्ति शाह की सेवानिवृत्ति से शीर्ष अदालत में अब न्यायाधीशों की संख्या भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) समेत 32 रह जाएगी. इससे एक दिन पहले न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी सेवानिवृत्त हुए थे. उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 है.

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न्यायमूर्ति शाह को विदाई देने के लिए गठित रस्मी पीठ की अगुवाई करते हुए सीजेआई ने सेवानिवृत्त हो रहे न्यायाधीश के साथ अपने जुड़ाव को याद किया.उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति शाह से मेरा नाता तब का है जब मैं भारत का अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल था और हमारी दोस्ती तब गहरी हुई, जब वह (न्यायमूर्ति शाह) उच्चतम न्यायालय आए। हम कोविड जैसे मुश्किल वक्त में एक साथ (पीठ में) बैठे थे.

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इस मौके पर CJI ने कहा कि मैं जब सीजेआई के तौर पर इस पावन अवसर की अध्यक्षता से मुक्त होऊंगा, तब शाम को आप लोगों को कुछ मजेदार किस्से सुनाऊंगा. शाम को फिर मैं आपसे न्यायमूर्ति शाह के मित्र के रूप में बात करूंगा. न्यायमूर्ति एम आर शाह के साथ बैठना तथा पीठ में सभी तरह के मुकदमों की सुनवाई करना खुशी की बात रही.वह (न्यायमूर्ति शाह) हमेशा चुनौती के लिए तैयार रहते हैं और कोविड के दौरान भी, मैंने पाया कि जब हम अपने घरों में बैठे थे और हम कुछ बड़े मामलों की सुनवाई कर रहे थे तो वह हमेशा किसी भी चुनौती के लिए तैयार रहते थे.

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न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि वह कभी भी काम से भागने वाले व्यक्ति नहीं थे। अगर मैं उन्हें कोई फैसला भेजता तो वह रात भर में उनकी टिप्पणियों के साथ वापस आ जाता था और पूरी तरह पढ़ा हुआ होता था. अगर मैं उन्हें एक वरिष्ठ सहकर्मी के तौर पर कोई फैसला लिखने के लिए भेजता था तो वह भी उसी तरह 48 घंटे के भीतर मेरी मेज पर होता था. कई मायनों में मैंने कानूनी पेशों, हमारी जिला न्यायपालिका और हमारे उच्च न्यायालयों के उनके सांसारिक ज्ञान पर भरोसा किया, क्योंकि वह गुजरात और पटना में मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं. 

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