'भारतीय सेना की JAG भर्ती में महिलाओं की सीटें सीमित करना मनमाना', सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना में JAG भर्ती में महिलाओं की सीटें सीमित करना समानता के अधिकार का उल्लंघन बताया. केंद्र को सभी उम्मीदवारों की संयुक्त मेरिट सूची जारी करने का निर्देश दिया गया.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
(फाइल फोटो)
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • SC ने भारतीय सेना में जेएजी की भर्ती में महिलाओं की सीटें सीमित करना समानता के अधिकार का उल्लंघन बताया
  • कोर्ट ने केंद्र सरकार को उम्मीदवारों के लिए संयुक्त मेरिट सूची प्रकाशित करने का निर्देश दिया
  • सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को केवल 3 सीटों तक सीमित करने और पुरुषों के लिए 6 सीटें आरक्षित करने को मनमाना ठहराया
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्ली:

भारतीय सेना में जेएजी (JAG) की नियुक्ति मामले में महिला अफसरों की सीटें सीमित करने पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, महिलाओं की सीटों को सीमित करना समानता के अधिकार का उल्लंघन है. महिलाओं को केवल 3 सीटों तक सीमित करना मनमाना है. पुरुषों के लिए 6 और महिलाओं के लिए 3 सीटें मनमाना है. कार्यपालिका पुरुषों के लिए रिक्तियां आरक्षित नहीं कर सकती है.यदि ऐसी नीतियों का पालन किया जाता है तो कोई भी राष्ट्र सुरक्षित नहीं रह सकता.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से भारतीय सेना में जेएजी (JAG) की नियुक्ति के लिए संयुक्त मेरिट सूची प्रकाशित करने को कहा. SC ने सभी उम्मीदवारों के लिए संयुक्त मेरिट सूची जारी करने का निर्देश दिया, जिसमें पुरुष और महिला उम्मीदवार शामिल होंगे. SC ने केंद्र से केवल योग्यता के आधार पर चयन करने को कहा है. 

सुप्रीम कोर्ट ने JAG (भारतीय सेना) प्रवेश योजना के पद पर नियुक्ति की मांग करने वाली एक महिला द्वारा दायर रिट याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें पुरुषों और महिलाओं के लिए असमान रिक्तियों को चुनौती दी गई थी. जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने ये फैसला सुनाया है. पीठ ने कहा, लैंगिक तटस्थता और 2023 के नियमों का सही अर्थ यह है कि संघ सबसे योग्य उम्मीदवारों का चयन करे. महिलाओं की सीटों को सीमित करना समानता के अधिकार का उल्लंघन है.

जस्टिस मनमोहन ने फैसला सुनाते हुए केंद्र को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ताओं में शामिल दो महिलाओं में से एक को JAG विभाग में कमीशन दे. अदालत ने पाया कि दूसरी याचिकाकर्ता किसी भी राहत की हकदार नहीं है. केंद्र को निर्देश दिया जाता है कि वह उपरोक्त तरीके से भर्ती करे और सभी उम्मीदवारों, जिनमें पुरुष और महिला उम्मीदवार शामिल हों, की संयुक्त मेरिट सूची प्रकाशित करे.

दरअसल, पीठ ने फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि वह याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत मामले से "प्रथम दृष्टया" संतुष्ट है और उसे भर्ती करने का निर्देश दिया था. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से महिलाओं के लिए कम पद रखने पर सवाल उठाया था जबकि उसने दावा किया था कि ये पद लैंगिक रूप से तटस्थ हैं. अदालत अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी की इस दलील से सहमत नहीं थी कि JAG के पद लैंगिक रूप से तटस्थ हैं और 2023 से चयन अनुपात 50:50 होगा.

Featured Video Of The Day
Dharali Village में तबाही पर गांव वाले नहीं मानते बादल फटने की बात, जानें क्या कहते हैं ग्रामीण