देशभर में बिजली के करंट से हाथियों की मौत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार समेत 17 राज्यों को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर देशभर में हाथियों की करंट से मौत को रोकने के लिए पर्यावरण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों को सख़्ती से लागू करने की मांग की गई है. उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने केंद्र और राज्यों को 6 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.
पशु अधिकार कार्यकर्ता प्रेरणा सिंह बिंद्रा ने याचिका दायर की है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने नोटिस जारी किया है.
याचिका में कहा गया है कि मुख्य रूप से बिजली के करंट के कारण हाथियों की अप्राकृतिक मौतों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि हुई है. इस मामले में केंद्र और राज्य सरकारों का रुखा रवैया रहता है. वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए सरकार अपने दायित्वों और कर्तव्यों में विफल रही है. सरकारी प्राधिकरण अपने स्वयं के विशेषज्ञ निकायों और समितियों की वैधानिक जनादेश और सिफारिशों को लागू नहीं कर रहे हैं.
याचिका में संरक्षित क्षेत्रों के भीतर और आसपास बिजली की बाड़ का इस्तेमाल बंद करने का निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में संरक्षित क्षेत्रों (वन्यजीव अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों, सामुदायिक रिजर्व और संरक्षण रिजर्व), हाथी रिजर्व, हाथी गलियारे और हाथी आवागमन के ज्ञात क्षेत्रों से गुजरने वाली हाई वोल्टेज बिजली ट्रांसमिशन लाइनों को हटाने की मांग भी की गई है.
बताया गया है कि पर्यावरण मंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में कहा है कि 2009 से 2020 के बीच बिजली के झटके से कुल 741 हाथियों की मौत हुई है.