दिल्ली और NCR में वायु प्रदूषण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को सुनवाई की. सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि हमें तत्काल नियंत्रण के उपाय चाहिए. जरूरत पड़ी तो 2 दिन के लॉकडाउन या कुछ और सोचें. वरना लोग कैसे रहेंगे? राजनीति और सरकार से ऊपर उठकर काम करने की जरूरत है. CJI एन वी रमना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच इस याचिका पर सुनवाई की. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को प्रदूषण को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने को कहा था. अदालत ने दिल्ली सरकार से भी पूछा था कि प्रदूषण को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? साथ ही कहा था कि दिल्ली सरकार अदालत में हलफनामा दाखिल करे. इस पर दिल्ली सरकार ने शनिवार को कहा कि हलफनामा तैयार किया जा रहा है.सुप्रीम कोर्ट 15 नवंबर को सुनवाई करेगा. केंद्र से कहा कोर्ट ने कहा है कि आपातकालीन मीटिंग की रिपोर्ट भी दाखिल करें.
- दिल्ली सरकार ने कहा कि उनका हलफनामा तैयार हो रहा है. आज दाखिल हो जाएगा. इस पर सीजेआई ने कहा कि ठीक है कम से कम कुछ सोचा जा रहा है. वहीं, CJI ने केंद्र की ओर से पेश हुए SG तुषार मेहता से कहा, हम लंबी चौड़ी रिपोर्ट नहीं चाहते, ना हम लंबी बहस चाहते हैं.
- सीजेआई ने कहा, हालात कैसे हैं सब जानते हैं. यहां तक हम घर में भी मास्क लगाते हैं. ये बताइए प्रदूषण से निपटने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. पराली जलाने से हालात खराब हुए हैं. इसे रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?
- SG तुषार मेहता ने कहा, पराली का बॉयोमास और फ्यूल में इस्तेमाल होता है. हम पराली जलाने को रोकने के लिए कदम उठा रहे हैं. लेकिन 5-6 दिनों से हालात खराब हो रहे हैं. पंजाब में पराली जलाने के कारण हालत खराब हुए हैं. पंजाब सरकार को कदम उठाने चाहिए.
- CJI ने सवाल उठाया, ऐसा लग रहा है कि आप कह रहे हैं कि केवल किसान ही इसके लिए जिम्मेदार हैं. हमें ये सरकार उस सरकार से कुछ लेना देना नहीं है. ये बताइए कि ये कुछ प्रतिशत है. बाकी प्रदूषण का क्या? आप क्या प्रभावी कदम उठा रहे हैं? जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा, सवाल किसानों का नहीं है. सवाल योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू करने का है.
- सुप्रीम कोर्ट ने तुषार मेहता से कहा, केंद्र क्यों नहीं किसानों से पराली लेती और उद्योगों को देती? हमें कुछ जिलों और सोसाइटी की जानकारी दें जहां पराली प्रबंधन किया जा रहा है.
- सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रदूषण के हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि तुरंत आपात कदम उठाने की जरूरत है. कोर्ट ने केंद्र को दिल्ली में दो दिन के लॉकडाउन जैसे कदम उठाने की सलाह दी.
- सीजेआई ने कहा कि प्रदूषण में कुछ फीसद पराली जलाने का योगदान है. बाकी दिल्ली में प्रदूषण, विशेष रूप से पटाखे, उद्योग, धूल आदि से है. हमें तत्काल नियंत्रण के उपाय चाहिए. जरूरत पड़ी तो 2 दिन के लॉकडाउन या कुछ और सोचें. वरना लोग कैसे रहेंगे? राजनीति और सरकार से ऊपर उठकर काम करने की जरूरत है. अगले दो-तीन दिनों में AQI स्तर नीचे लाने की जरूरत है. पंजाब और हरियाणा सरकार से पराली जलाने से रोकने के लिए बात क्यों नहीं करते?
- इस पर तुषार मेहता ने कहा, सरकार हालात को समझती है. आज ही एक संयुक्त बैठक है. पंजाब, हरियाणा, यूपी और दिल्ली सब सहयोग कर रहे हैं.
- कोर्ट ने कहा कि पराली के अलावा वाहन, धूल आदि भी मुद्दे है, जिन्हें देखने की जरूरत है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर भी सवाल उठाए और कहा कि सभी सरकारों द्वारा हर बार किसानों को कोसना बन गया है. पटाखों पर बैन लगाया तो क्या हुआ? पिछले 7-8 दिनों में क्या हो रहा है? दिल्ली पुलिस क्या कर रही है? साथ ही कुछ तरह के वाहनों पर रोक लगाने जैसे कदम उठाने पर विचार करने को कहा. इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र से सोमवार को आपातकालीन योजना लाने को कहा है.
- बता दें, प्रदूषण हालात की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिला याचिका में वायु प्रदूषण से निपटने में सरकार की "गैर-गंभीरता" का आरोप लगाया गया है. याचिका में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की अदालत द्वारा निगरानी की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि वायु गुणवत्ता आयोग की निष्क्रियता से लोगों की जान को खतरा होगा.
- याचिका में साथ ही आरोप लगाया गया है कि आयोग को किसानों के विरोध, राजनीतिक और सामाजिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है. किसानों के आंदोलन के कारण पतला पराली जलाने पर जुर्माना और कारावास को हल्का कर दिया गया. वकील निखिल जैन के माध्यम से दायर छात्र आदित्य दुबे की याचिका में कहा गया है कि आयोग ने दिल्ली और आसपास के राज्यों की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. आयोग का काम अभी तक केवल कागजों पर ही अस्तित्व में है.