प्रवर्तन निदेशालय (ED) निदेशक संजय मिश्रा के कार्यकाल विस्तार के खिलाफ याचिका दायर की गई है. अमिकस क्यूरी केवी विश्वनाथन ने अदालत को बताया कि इस तरह का विस्तार अवैध है. विनीत नारायण आदि मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के हवाले से कहा गया कि यह मुद्दा वर्तमान निदेशक के बारे में बिल्कुल नहीं था, बल्कि सिद्धांत के बारे में था. हालांकि, केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि मिश्रा के विस्तार को विपक्षी नेताओं ने गंभीर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना करने के कारण चुनौती दी है. याचिकाकर्ता का कोई लोकस नहीं है.
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने हालांकि, कहा कि यह इस तथ्य से चिंतित नहीं है. मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च, 2023 को होगी. वहीं, केंद्र सरकार ने कार्यकाल विस्तार को सही ठहराया है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि याचिकाकर्ता भ्रष्टाचार की जांच का सामना कर रहे अपने नेताओं को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. असली मकसद पार्टी अध्यक्ष और कांग्रेस के कुछ पदाधिकारियों के खिलाफ की जा रही जांच पर सवाल उठाना है.
हलफनामे में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं में रणदीप सिंह सुरजेवाला(कांग्रेस), जया ठाकुर (कांग्रेस), साकेत गोखले(टीएमसी), महुआ मोइत्रा(टीएमसी) शामिल है. इन पार्टियों के प्रमुख नेता ED की जांच के दायरे में हैं. यह सुनिश्चित करने के लिए याचिका दायर की गई है कि ईडी निडर होकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन ना कर पाए. याचिकाकर्ता पार्टी के कई नेताओं के खिलाफ जांच के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर मामले का खुलासा करने में भी विफल रहे हैं.