नोटबंदी की संवैधानिक वैधता केस : SC ने केंद्र से पूछा नोटबंदी के लिए अलग कानून की जरूरत है या नहीं

नोटबंदी की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र से सवाल पूछा है. कोर्ट ने कहा कि क्या सुप्रीम कोर्ट को भविष्य के लिए कानून तय नहीं करना चाहिए? क्या RBI एक्ट के तहत नोटबंदी (Demonetisation) की जा सकती है?

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
नई दिल्ली:

2016 में नोटबंदी की संवैधानिक वैधता सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस ए एस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ इस मामले में सुनवाईकर रही है.नोटबंदी की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट केंद्र से सवाल पूछा है. कोर्ट ने कहा कि क्या सुप्रीम कोर्ट को भविष्य के लिए कानून तय नहीं करना चाहिए? क्या RBI एक्ट के तहत नोटबंदी की जा सकती है? नोटबंदी के लिए अलग कानून की जरूरत है या नहीं. जिस तरह से नोटबंदी को अंजाम दिया गया इस प्रक्रिया के पहलुओं पर गौर करने की जरूरत है.

पीठ की अगुवाई कर रहे जस्टिस नज़ीर ने पूछा- अब इस मामले में कुछ बचा है?  जस्टिस गवई ने कहा, अगर कुछ नहीं बचा तो आगे क्यों बढ़ना चाहिए?  याचिकाकर्ता में से एक के लिए प्रणव भूषण ने कहा कुछ मुद्दे हैं. बाद की सभी अधिसूचनाओं की वैधता; असुविधा से संबंधित मामले;  क्या नोटबंदी ने समानता के अधिकार और बोलने व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन किया है? इस पर  SG ने कहा कि मुझे लगता है कि कुछ अकादमिक मुद्दों के अलावा कुछ भी नहीं बचा है. क्या अकादमिक मुद्दों पर फैसला करने के लिए पांच जजों को बैठना चाहिए.

बता दें कि पिछली सुनवाई में नोटबंदी के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि था कि इस मामले में अब क्या बचा है? क्या इस मामले का परीक्षण करने की जरूरत है? क्या ये मामला निष्प्रभावी तो नहीं हो गया? क्या ये मामला अब अकादमिक तो नहीं रह गया?

ये भी पढ़ें :

Video: मुंबई पुलिस को बच्‍ची चोर की तलाश, दो साल की बच्‍ची के सहारे मांगता है भीख

Featured Video Of The Day
USHA x NDTV की पहल: नौकरी चाहने वालों से बदलाव लाने वालों तक: उषा गर्ल्स का उद्यमशीलता में उदय
Topics mentioned in this article