एयर इंडिया में यात्री पर पेशाब घटना मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने अनियंत्रित हवाई यात्रियों से निपटने के लिए रचनात्मक तरीके अपनाने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने अधिकारियों से अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार मौजूदा दिशानिर्देशों को संशोधित करने पर विचार करने के लिए कहा. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के वी विश्वनाथन ने एक किस्सा सुनाया.
सुप्रीम कोर्ट के जज ने सुनाया किस्सा
जस्टिस विश्वनाथन ने कहा," हाल ही में जब मैं और जस्टिस सूर्यकांत विमान में जा रहे थे तो दो पुरुष यात्री पूरी तरह नशे में थे. एक ने खुद को शौचालय में बंद कर लिया और सो गया. दूसरा उल्टी की थैली लेकर बाहर निकला. चालक दल में सभी महिलाएं थीं इसलिए उन्होंने शौचालय नहीं खोला. इसलिए सह-यात्रियों में से एक को शौचालय खोलना पड़ा. इस मामले में कुछ रचनात्मक करना होगा. शायद रणनीतिक तरीके से कुछ और हो सकता है."
अधिकारियों को निर्देश देने की मांग
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने ASG ऐश्वर्या भाटी से अधिकारियों को विमान में अनियंत्रित यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप प्रबंधित करने के लिए गाइडलाइन की जांच करने का निर्देश देने के लिए कहा. इस मामले में अदालत अगली सुनवाई 8 हफ्ते बाद करेगी.
पिछले साल अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उडानों में यात्रियों के दुर्व्यवहार की घटनाओं से निपटने के लिए SoP बनाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सिविल एविएशन मंत्रालय और DGCA को नोटिस जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कुछ मांगें रखी हैं.
- DGCA और एयरलाइन कंपनियों को यात्रियों के दुर्व्यवहार की घटनाओं से निपटने के लिए वैधानिक अनिवार्य SoP और नियमों को निर्धारित करने के निर्देश देने की मांग की गई है.
- अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में शराब परोसने की सीमा निर्धारित करने की मांग भी की गई है.
- कंपनियां हवाईअड्डों और विमानों में अनियंत्रित व्यवहार से निपटने के लिए प्रक्रियाएं निर्धारित करें और यह सुनिश्चित करें कि वे डीजीसीए के मानदंडों के अनुपालन में हो.
- भारतीय एयरलाइनों की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर शराब नीति पर दिशानिर्देश निर्धारित करने के निर्देंश दिए जाएं.
याचिकाकर्ता की मांगें जानिए
श्रेणी के आधार पर बिना किसी भेदभाव के परोसी जाने वाली शराब की मात्रा पर सीमा निर्धारित की जाए.
DGCA को अपने यात्री चार्टर में संशोधन करने का निर्देश दे ताकि कर्मचारियों के यात्रियों द्वारा किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार के अधीन यात्रियों के अधिकारों और उपायों को शामिल किया जा सके, जिसमें लोकपाल के माध्यम से पीड़ितों के लिए निवारण तंत्र और मुआवजे के मानदंड भी शामिल हों.
सभी समाचार और मीडिया संस्थाओं और एजेंसियों को आपराधिक मामले में अपराधी और याचिकाकर्ता को शामिल करने वाली रिपोर्ट करने से रोकने का निर्देश. याचिका में मांग की गई है कि उनके मामले में पुलिस व पटियाला हाउस कोर्ट में चल रही कार्यवाही की मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाई जाए. ये याचिकाकर्ता और आरोपी के लिए और शर्मिंदगी को रोकने के लिए है. इससे यह सुनिश्चित होगा कि पीड़ित और गवाह भविष्य में ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करने से नहीं पीछे नहीं हटेंगे