सुप्रीम कोर्ट में डिजिटल अरेस्ट जैसे साइबर फ्राड को लेकर पहली बार सुनवाई होने जा रही है. ये सुनवाई शुक्रवार को होगी. इस मामलों को लेकर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जायमाल्या बागची की बेंच सुनवाई करने जा रही है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट जैसे गंभीर मामले का स्वत: संज्ञान लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई अंबाला में बुजुर्ग महिला से फर्जी आदेश दिखाकर 1 करोड़ 5 लाख रुपये की ठगी की बात सामने आने के बाद कर रहा है.
साइबर ठगों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया
सुप्रीम कोर्ट के टॉप सूत्रों के मुताबिक इस केस की जानकारी जस्टिस सूर्य कांत को मिली तो उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश में फर्जीवाड़ा देखते हुए इस पर स्वत: संज्ञान लेने के लिए CJI बी आर गवई के पास भेजा. इसके बाद CJI गवई ने भी तुरंत इस मामले को शुक्रवार को जस्टिस सूर्य कांत की बेंच में केस को लिस्ट कर दिया. दरअसल, सितंबर में हरियाणा रोडवेज विभाग की रिटायर्ड ऑडिटर शशिबाला सचदेवा (उम्र 71 वर्ष) और उनके पति से फर्जी सीबीआई अधिकारी बनकर साइबर ठगों ने करीब 1 करोड़ 5 लाख रुपये की ठगी कर ली थी.पीड़िता और उनके पति को 13 दिनों तक वाट्सएप काल और वीडियो के जरिए डिजिटल अरेस्ट में रखकर मानसिक प्रताड़ना दी गई और जान से मारने की धमकियां भी दी गईं.
शशिबाला ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि 3 सितंबर को उनके वाट्सएप नंबर पर एक महिला ने खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी से बताते हुए संपर्क किया और कहा कि उनका नाम मनी लॉन्ड्रिंग केस में आ रहा है. इसके बाद एक के बाद एक कॉल्स में फर्जी अधिकारी-जो खुद को सीबीआई, डीसीपी और एसीपी व सुप्रीम कोर्ट से जुड़ा बताते रहे, ने उन्हें विश्वास में लेकर बैंक खातों और एफडी की जानकारी हासिल की.
आरोपितों ने कथित रूप से बताया कि उनका आधार कार्ड मुम्बई में किसी संजय राऊत के मनी लॉन्ड्रिंग केस में इस्तेमाल हुआ है और अब जांच की जा रही है. झूठे आरोपों और धमकियों से डराकर, पीड़िता दंपती को उनकी एफडी तुड़वाकर, लगभग 1.05 करोड़ की राशि तीन अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर करवा ली गई.शिकायत के अनुसार, ठगों ने सीबीआई का लोगो इस्तेमाल कर वाट्सएप वीडियो कॉल्स की, नकली कोर्ट ऑर्डर और दस्तावेज भेजे, और धमकी दी कि अगर किसी को जानकारी दी गई तो उन्हें संजय राऊत द्वारा मरवा दिया जाएगा.