लोग इंडिया या भारत कहने के लिए स्वतंत्र हैं : सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में याचिका खारिज करते हुए कहा था

तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने 2016 में महाराष्ट्र के निरंजन भटवाल द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा था, ‘‘भारत या इंडिया? आप इसे भारत कहना चाहते हैं, कहिये. कोई इसे इंडिया कहना चाहता है, उन्हें इंडिया कहने दीजिए.’’

विज्ञापन
Read Time: 20 mins
नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय ने सभी उद्देश्यों के लिए ‘इंडिया' को ‘भारत' कहे जाने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका 2016 में खारिज करते हुए कहा था कि लोग देश को अपनी इच्छा के अनुसार इंडिया या भारत कहने के लिए स्वतंत्र हैं. जी20 के लिए रात्रिभोज निमंत्रण पत्र पर ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' (भारत की राष्ट्रपति) लिखे जाने के बाद राष्ट्रव्यापी बहस छिड़ने के मद्देनजर, शीर्ष न्यायालय द्वारा इस याचिका को खारिज किया जाना प्रासंगिक हो गया है.

तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने 2016 में महाराष्ट्र के निरंजन भटवाल द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा था, ‘‘भारत या इंडिया? आप इसे भारत कहना चाहते हैं, कहिये. कोई इसे इंडिया कहना चाहता है, उन्हें इंडिया कहने दीजिए.'' दोनों न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो चुके हैं. जी20 निमंत्रण पत्र को लेकर विपक्ष की आलोचना का सामना कर रहे केंद्र ने शीर्ष न्यायालय से नवंबर 2015 में कहा था कि देश को ‘इंडिया' के बजाय ‘भारत' नहीं कहा जाए.

न्यायालय ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद एक में बदलाव के लिए विचार करने की खातिर ऐसी कोई परिस्थिति नहीं बनी है. संविधान के अनुच्छेद 1(1) में कहा गया है, ‘‘इंडिया, जो भारत है, राज्यों का एक संघ है.'' जनहित याचिका का विरोध करते हुए गृह मंत्रालय ने कहा था कि संविधान का मसौदा तैयार करने के दौरान संविधान सभा में देश के नाम पर विस्तार से चर्चा हुई थी और अनुच्छेद एक के उपबंध आम सहमति से अंगीकृत किये गये थे.

Advertisement

उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ता को आड़े हाथ लिया था और उनसे पूछा था कि क्या उन्हें लगता है कि इसके पास करने के लिए और कुछ नहीं है, तथा उन्हें याद दिलाया था कि जनहित याचिकाएं गरीबों के लिए हैं. पीठ ने 11 मार्च 2016 को कहा था, ‘‘जनहित याचिका गरीबों के लिए है. आपको लगता है कि हमारे पास करने के लिए और कुछ नहीं है.''

Advertisement

याचिका में, गैर सरकारी संगठनों और कंपनियों को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था कि सभी आधिकारिक और गैर आधिकारिक उद्देश्यों के लिए वे भारत शब्द का इस्तेमाल करें. याचिका में कहा गया था कि संविधान सभा में देश के लिए सुझाये गये प्रमुख नामों में ‘‘भारत, हिंदुस्तान, हिंद और भारतभूमि या भारतवर्ष तथा इस तरह के अन्य नाम थे.''
 

Advertisement
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Pahalgam Terror Attack: दुनिया के निशाने पर आया पाकिस्तान किस तरह कर रहा भारत पर हमले? | NDTV Duniya
Topics mentioned in this article