सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ऐतिहासिक युद्धपोत INS विराट को तोड़ने की इजाजत दे दी है. इसके साथ ही कोर्ट ने उसकी तोड़फोड़ पर लगाई रोक हटा ली है. सुप्रीम कोर्ट ने आज मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि INS विराट को बकायदा कानूनी तरीके से केंद्र सरकार से खरीदा गया था. CJI जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा कि याचिकाकर्ता इस मामले में देरी से अदालत आए हैं, जबकि पहले ही युद्धपोत को 40 फीसदी तोड़ा जा चुका है. कोर्ट ने ये टिप्पणी करते हुए तोड़फोड़ के खिलाफ याचिका खारिज कर दी.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया था कि वो ऐतिहासिक युद्धपोत आईएनएस विराट के तोड़ने पर लगाई रोक हटा सकता है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की याचिकाकर्ता कंपनी को पर्यवेक्षण रिपोर्ट पर गौर करने को कहा था. CJI एस ए बोबडे ने कहा था कि अब जहाज एक निजी संपत्ति है और इसे 40 फीसदी तोड़ा जा चुका है. ऐसे में इसे युद्धपोत का दर्जा नहीं दिया जा सकता.
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विराट को खरीदने वाली कंपनी की ओर ये कहा गया था कि विराट को पहले ही 40 फीसदी तोड़ा जा चुका है. इससे पहले 10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने नौसेना से हटाए गए ऐतिहासिक युद्धपोत आईएनएस विराट को तोड़ने पर रोक लगा दी थी और उसके खरीददार को नोटिस जारी किया था.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया था कि एक ग्रुप भविष्य के लिए इसे संरक्षित करना चाहता है और खरीदार को 100 करोड़ रुपये की पेशकश की गई है, जबकि खरीदार ने इसे कबाड़ बनाने के लिए खरीदा है. याचिकाकर्ता ने कहा था कि इसे तोड़ने से अच्छा है कि उसे म्यूजियम में तब्दील कर दिया जाए लेकिन शीर्ष अदालत ने INS विक्रांत को तोड़े जाने की प्रक्रिया रोककर उसे संग्रहालय में तब्दील करने की याचिका खारिज कर दी.
हालांकि, कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने याचिकाकार्ता के पक्ष में टिप्पणी की कि हम आपकी राष्ट्रीयता की भावना के साथ हैं लेकिन विमानवाही पोत का चालीस फीसदी से ज्यादा हिस्सा तो तोड़ा जा चुका है. लिहाज़ा अब हम इसके तोड़े जाने की प्रक्रिया पर लगाया स्टे ऑर्डर वापस ले रहे हैं.
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विमान वाहक पोत विराट को 1987 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था. वर्ष 2017 में इसे नौसेना से हटा दिया गया था, जिसे बाद में एक ग्रुप ने इसी साल नीलामी में 38.54 करोड़ रुपये में खरीद लिया था. भारतीय समुद्री विरासत के प्रतीक इस युद्धपोत को गुजरात के अलंग जहाज तोड़ने वाले यार्ड में पहुंचाया गया था.