गोवा विधानसभा स्पीकर को कांग्रेस के 10 बागी विधायकों की अयोग्यता पर जल्द फैसला लेने वाली याचिका मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने मार्च पहले हफ्ते के लिए टाल दी. गोवा स्पीकर की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि गोवा स्पीकर ने अयोग्यता पर 27 फरवरी को सुनवाई कर निपटाने के लिए रखा है. विलय पर भी मामला लंबित है. शुरुआत में अदालत ने कहा कि स्पीकर की रिपोर्ट को अदालत के सामने रखा जाए लेकिन स्पीकर की ओर से कहा गया कि अदालत स्पीकर को निर्देश जारी नहीं कर सकती. इस मामले की सुनवाई स्पीकर के सुनवाई पूरी करने के बाद हो. मेहता ने कहा कि ये सिर्फ सुनवाई है, निपटारे के लिए नहीं है. लेकिन CJI ने कहा कि वो मामले को तभी टालेंगे जब निपटारा भी किया जाए. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि ये तारीख सिर्फ कोर्ट को दिखाने के लिए तय की गई है.
ये विधायक जुलाई 2019 में भाजपा में शामिल हो गए थे. बीजेपी में शामिल हुए 10 विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए गोवा कांग्रेस चीफ ने शीर्ष अदालत का रुख किया है याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि डेढ़ साल बीत चुके हैं और स्पीकर को अयोग्य ठहराने की कांग्रेस की याचिका पर फैसला करना बाकी है. इससे पहले 16 जून 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने गोवा विधानसभा स्पीकर को एक महीने के भीतर कांग्रेस के 10 बागी विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया था.
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गोवा के कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोडणकर द्वारा दायर याचिका पर मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया था. याचिका में कहा गया है कि अयोग्य ठहराए जाने वाली याचिका अगस्त 2019 से पहले लंबित है, उस पर स्पीकर को शीघ्रता से फैसला करना चाहिए.
अतिरिक्त रूप से याचिका में 10 विधायकों को भाजपा विधायकों और मंत्रियों के रूप में कार्य करने से रोकने की मांग भी की गई है. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल चोडणकर की ओर से पेश हुए और मामले को जल्द सूचीबद्ध करने की मांग की. याचिका में कहा गया है कि स्पीकर ने अयोग्यता का फैसला करने के लिए 3 महीने की समयसीमा का उल्लंघन किया है. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर विधायक दलबदल के मुद्दे से संबंधित अपने हालिया फैसले में निर्धारित किया है.
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बता दें, जुलाई 2019 में, गोवा में 15 कांग्रेस विधायकों में से दस ने पार्टी छोड़ दी और भाजपा में विलय कर लिया, जिससे सत्तारूढ़ पार्टी की ताकत 27 से बढ़कर 40 हो गई. विपक्षी दल द्वारा 10 विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिका अगस्त 2019 से विधानसभा स्पीकर राजेश पटनेकर के समक्ष लंबित है. चोडणकर की याचिका में कांग्रेस के 10 विधायकों के भाजपा के साथ विलय को चुनौती दी गई है, क्योंकि पार्टी या गोवा इकाई में कोई "विभाजन" नहीं था.