सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को लेकर बड़ा आदेश दिया है. अदालत ने जांच एजेंसी से कहा है कि अब वो किसी भी व्यक्ति के लैपटॉप या मोबाइल फोन से डेटा को एक्सेस या कॉपी नहीं कर सकता. अदालत ने ईडी को निर्देश दिया कि वे सैंटियागो मार्टिन (Santiago Martin), उनके रिश्तेदारों और कर्मचारियों के यहां छापेमारी के दौरान नवंबर में जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से डेटा एक्सेस या कॉपी करने की कोशिश न करें.
अदालत ने क्या आदेश दिया?
13 दिसंबर को जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस पंकज मित्तल की बेंच ने दो पन्नों का आदेश जारी किया था. आदेश में कहा गया था कि सैंटियागो मार्टिन से जुड़ा मामला अन्य संबंधित मामलों के साथ सुना जाएगा. साथ ही, कोर्ट ने ईडी को निर्देश दिया था कि वह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से डेटा निकालने के लिए पीएमएलए के तहत जारी किए गए समन पर रोक लगाए.
क्या था मामला?
बताते चलें कि ईडी ने छह राज्यों में 22 स्थानों पर छापेमारी की थी. यह कार्रवाई मेघालय पुलिस की शिकायत पर की गई थी. इन छापों में ₹12.41 करोड़ नकद बरामद हुए थे. छापेमारी के बाद ईडी की तरफ से दावा किया गया था कि फ्यूचर गेमिंग कंपनी ने 2019 से 2024 के बीच ₹1,368 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे. इन बांडों के जरिए उसने विभिन्न राजनीतिक दलों को चंदा दिया था.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ईडी ने क्या कहा?
ईडी के वरिष्ठ अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मीडिया से बात करते हुए बताया कि सैंटियागो मार्टिन के खिलाफ उनके पास सबूत हैं.
राइट टू प्राइवेसी के आधार पर दायर की गयी थी याचिका
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में निजता के मौलिक अधिकार की रक्षा की मांग की थी. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि डिजिटल डिवाइस में निजी जानकारी होती है, जो किसी व्यक्ति की निजी जिंदगी को उजागर कर सकती है.
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