सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 'हिट-एंड-रन' दुर्घटनाओं में मुआवजा बढ़ाने पर विचार करने के लिये कहा

शीर्ष अदालत ने पुलिस को इस तरह की दुर्घटनाओं के पीड़ितों के परिजनों को इस अधिनियम के तहत मुआवजे की योजना के बारे में जानकारी देने को भी कहा.

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नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को इस बारे में विचार करने का निर्देश दिया है कि ‘हिट-एंड-रन' दुर्घटनाओं में मौत या गंभीर रूप से घायल होने के मामले में मुआवजे की राशि क्या सालाना बढ़ाई जा सकती है. शीर्ष अदालत ने सरकार को आठ हफ्तों में उपयुक्त निर्णय लेने को कहा और विषय को 22 अप्रैल के लिए निर्धारित कर दिया.

न्यायालय ने उल्लेख किया कि मोटर वाहन (एमवी) अधिनियम,1988 यह प्रावधान करता है कि ‘हिट-एंड-रन' दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मौत होने के मामले में, दो लाख रुपये का मुआवजा या केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित इस तरह की उच्चतर राशि अदा की जाए, और गंभीर रूप से घायल होने के मामले में मुआवजा 50,000 रुपये हो.

शीर्ष अदालत ने पुलिस को इस तरह की दुर्घटनाओं के पीड़ितों के परिजनों को इस अधिनियम के तहत मुआवजे की योजना के बारे में जानकारी देने को भी कहा.

न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा प्रकाशित वर्षवार रिपोर्ट के अनुसार, 55,942 ‘हिट-एंड-रन' दुर्घटनाएं 2016 में दर्ज की गईं, जबकि 2022 में यह संख्या 67,387 रही थी.

न्यायालय ने कहा, ‘‘सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा प्रकाशित 2016-2022 के रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि 2016 में 55,942 हिट-एंड-रन दुर्घटनाएं हुईं, जो 2017 में बढ़कर 65,186, 2018 में 69,621, 2019 में 69,621 हो गईं. कोविड-19 अवधि के दौरान, दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आई.'' पीठ ने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री द्वारा पिछले साल मार्च में लोकसभा में दिये गये एक जवाब पर भी गौर किया.

शीर्ष अदालत ने 12 जनवरी के अपने आदेश में कहा, ‘‘जवाब में बताया गया कि पिछले पांच वर्षों में हिट-एंड-रन मामलों में 660 लोगों की मौत हुई और घायल होने के 113 मामले थे, जिसके लिए 184.60 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया.''

पीठ ने कहा, ‘‘समय के साथ पैसे का मूल्य कम होता जाता है. हम केंद्र सरकार को इस पर विचार करने का निर्देश देते हैं कि क्या मुआवजे की रकम को क्रमिक रूप से सालाना बढ़ाया जा सकता है. केंद्र सरकार आज से आठ सप्ताह के भीतर इस मुद्दे पर उपयुक्त निर्णय ले.''

न्यायालय ने कहा, ‘‘यदि दुर्घटना में शामिल वाहन का विवरण क्षेत्राधिकार वाले पुलिस थाने द्वारा इस सिलसिले में रिपोर्ट दर्ज करते समय उपलब्ध नहीं है, और यदि समुचित प्रयासों के बाद भी दुर्घटना में शामिल वाहन के विवरण का पता नहीं चल सका है तो मामला दर्ज होने की तारीख से एक माह की अवधि के भीतर थाना प्रभारी पीड़ित के कानूनी प्रतिनिधियों को लिखित रूप में सूचित करेंगे कि योजना के तहत मुआवजे का दावा किया जा सकता है.''

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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