सुप्रीम कोर्ट ने फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड के पूर्व प्रवर्तक मलविंदर मोहन सिंह की पत्नी की मेडिकल रिपोर्ट के विश्लेषण के लिए चिकित्सकों की एक टीम गठित करने का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक को शुक्रवार को निर्देश दिया. सिंह की पत्नी की गंभीर स्थिति को देखते हुए अंतरिम जमानत संबंधी याचिका पर आज ही दिन में तत्काल सुनवाई के लिए सहमत प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने मामले में दिल्ली सरकार को नोटिस भी जारी किया तथा सुनवाई की अगली तारीख (सात नवम्बर) तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. पीठ ने हालांकि, मलविंदर सिंह की पत्नी को फोर्टिस समूह के एक अस्पताल से एम्स स्थानांतरित करने या एम्स के चिकित्सकों को मरीज की स्वास्थ्य की स्थितियों की पड़ताल के लिए फोर्टिस जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया.
पीठ ने कहा कि एम्स के निदेशक द्वारा नियुक्त किए जाने वाले विशेषज्ञ मेडिकल रिकॉर्ड का विश्लेषण करेंगे और इस अदालत को एक रिपोर्ट सौंपेंगे, जो सिंह की अंतरिम रिहाई की याचिका पर विचार करेगी. सिंह अपनी पत्नी की देखभाल करना चाहते हैं. जापानी फर्म दाइची सांक्यो की ओर से पेश वकील ने याचिका का जोरदार विरोध करते हुए कहा कि सिंह को विभिन्न आदेशों का पालन नहीं करने के लिए इस अदालत की अवमानना के लिए दोषी ठहराया गया है और सितंबर में छह महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी.
इससे पहले दिन के दौरान पीठ ने सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाश वासुदेव की दलीलों पर ध्यान दिया, जिसमें कहा गया था कि याचिका पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है, क्योंकि उनकी पत्नी की स्थिति गंभीर है, जिनके प्लेटलेट की संख्या गिर गई है. इसके बाद शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार के स्थायी वकील को नोटिस जारी कर याचिका पर दोपहर एक बजे सुनवाई का समय तय किया. सिंह वर्तमान में रेलीगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) में धन की कथित हेराफेरी से संबंधित एक मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं. इस साल सितंबर में, उच्चतम न्यायालय ने मलेशिया स्थित आईएचएच हेल्थकेयर को फोर्टिस के शेयरों की बिक्री से संबंधित अवमानना मामले में सिंह को छह महीने की जेल की सजा सुनाई थी.
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