सुप्रीम कोर्ट ने मतदान के बूथवार आंकड़ों के लिए चुनाव आयोग जाने को कहा, इतने दिन में दें प्रतिवेदन

सुप्रीम कोर्ट ने बूथवार मतदान आंकड़ों की मांग पर कहा कि याचिकाकर्ताओं को चुनाव आयोग के पास जाना चाहिए. अदालत में आयोग के वकील ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त याचिकाकर्ताओं से मिलने और उनकी समस्याओं को सुलझाने के लिए तैयार है.

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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग की दलील को मानते हुए याचिकाकर्ताओं को मतदान के बूथवार आंकड़े के लिए चुनाव आयोग से संपर्क करने को कहा. आयोग ने अदालत को बताया था कि वह अपनी वेबसाइट पर बूथवार मतदान का फीसद अपलोड करने की मांग पर विचार के लिए तैयार है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को 10 दिन में चुनाव आयोग के समक्ष प्रतिवेदन देने का निर्देश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा क्या है 

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन के पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग के अधिवक्ता का कहना है कि याचिकाकर्ता प्रतिवेदन दायर कर अपनी शिकायतों के समाधान के लिए आयोग से संपर्क कर सकते हैं.चुनाव आयोग इस अपील पर सुनवाई कर उन्हें सूचित करेगा.यह प्रतिवेदन आज से 10 दिन के भीतर दिया जाना चाहिए. 

यह मामला तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और गैर सरकारी संगठनों एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म और कॉमन कॉज की याचिका से जुड़ा है. इसमें मतदान केंद्र वार मतदान फीसदी के आंकड़े प्रकाशित करने और चुनाव आयोग की वेबसाइट पर फॉर्म 17C अपलोड करने की मांग की गई थी. फॉर्म 17C में किसी मतदान केंद्र में डाले गए वोटों की जानकारी दी गई होती है.

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चुनाव आयोग ने क्या दलील दी

सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा," नए मुख्य चुनाव आयुक्त ने मुझसे अनुरोध किया है कि मैं माननीय अदालत को सूचित करूं कि याचिकाकर्ता उनसे मिल सकते हैं और जो भी संभव होगा, उसे करने के लिए आयोग तैयार और इच्छुक है." उन्होंने कहा," वे याचिकाकर्ताओं से मिलने और लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए तैयार हैं. यदि समाधान नहीं निकलता है, तो वे फिर से कोर्ट आ सकते हैं."

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एडीआर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा, "हम केवल उन आंकड़ों का खुलासा चाहते हैं, क्योंकि इसमें कुछ बड़ी विसंगतियां देखी गई हैं."

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याचिकाकर्ताओं का क्या कहना था

तृणमूल सांसद की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि चुनाव आयोग के हलफनामे में कहा गया है कि फॉर्म 17C का भाग I (मतदान केंद्र-वार डेटा) और भाग II (निर्वाचन क्षेत्र-वार डेटा) देना न तो व्यावहारिक है और न ही वांछनीय. उन्होंने कहा कि हालांकि आयोग हर मतदान केंद्र के एजेंट को फॉर्म 17C देता है, लेकिन एक पूरी तस्वीर हासिल करने के लिए जरूरी है कि इन आंकड़ों को एक साथ किया जाए. उन्होंने कहा, "543 लोकसभा सीटें हैं. किसी एक विधानसभा क्षेत्र में 200-300 मतदान केंद्र होते हैं. हर राजनीतिक दल के 200-300 एजेंटों के पास यह फॉर्म होगा, इसमें कोई विवाद नहीं है. लेकिन यदि मतदान के अंत में दर्ज किए गए 10 वोट अगले दिन 50 हो जाते हैं, तो इसकी जांच के लिए समग्र आंकड़े चाहिए."

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जस्टिस विश्वनाथन ने सवाल किया कि क्या राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के जरिए यह डेटा जमा नहीं कर सकते. इस पर भूषण ने कहा कि सभी बूथों पर उनके एजेंट नहीं होते हैं.

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