केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यूपी सरकार 5 सितंबर तक अपने जवाब दाखिल कर दे. अब सर्वोच्च न्यायालय इस जमानत याचिका का निपटारा 9 सितंबर को करेगा. यूपी सरकार ने नोटिस स्वीकार कर लिया है. गौरतलब है कि CJI यूयू ललित और जस्टिस एस रविंद्र भट्ट की बेंच ने इस मुद्दे की सुनवाई की.
कप्पन की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा,”सिर्फ 45 हजार रुपये बैंक के जमा कराने का आरोप है. PFI कोई बैन या आतंकी संगठन नहीं बनाया गया है. वो अक्टूबर 2020 से जेल में है. वो पत्रकार है और हाथरस की घटना की कवेरज़ के लिए जा रहे थे.”
इस मामले में 5000 पेज की चार्जशीट दाखिल की गई है. केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. 3 अगस्त को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने हाथरस में दलित लड़की के साथ सामूहिक रेप तथा हत्या के मामले में माहौल में तनाव होने के बाद भी वहां जाने के प्रयास करने वाले पत्रकार सिद्दीक कप्पन को राहत नहीं दी थी.
कप्पन के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम ( UAPA ) का मामला दर्ज करने के बाद उनको जेल भेजा गया है. कप्पन मथुरा जिला जेल में बंद है. यह आदेश जस्टिस कृष्ण पहल की एकल पीठ ने सिद्धीक कप्पन की जमानत याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश पारित किया. इसके पूर्व अदालत ने दो अगस्त को अभियुक्त तथा सरकार की ओर से पेश वकीलों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था.
कप्पन को अक्टूबर 2020 में उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह हाथरस में दलित लड़की के साथ गैंगरेप व हत्या के मामले की कवरेज के सिलसिले में हाथरस जा रहे थे. उसी दौरान कप्पन के खिलाफ यूएपीए (UAPA Act) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
मलयालम समाचार पोर्टल अझीमुखम के संवाददाता और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की दिल्ली इकाई के सचिव सिद्दीक कप्पन को अक्टूबर 2020 में तीन अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था. कप्पन उस समय हाथरस जिले में 19 वर्ष की एक दलित लड़की की सामूहिक दुष्कर्म क बाद अस्पताल में हुई मौत के मामले की रिपोर्टिंग करने के लिए हाथरस जा रहे थे. उन पर आरोप लगाया गया है कि वह कानून-व्यवस्था खराब करने के लिए हाथरस जा रहे थे.