रोहिंग्या शरणार्थियों की रिहाई पर सुनवाई को तैयार CJI, कोर्ट में भिड़े सॉलिसिटर जनरल और प्रशांत भूषण

याचिका में कहा गया है कि इसे जनहित में दायर किया गया है, ताकि भारत में रह रहे शरणार्थियों को प्रत्यर्पित किए जाने से बचाया जा सके. याचिका में दलील दी गई है कि यह समानता और जीने के अधिकार का उल्लंघन है. 

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दोनों पक्षों को सुनने के बाद CJI ने कहा कि अगले गुरुवार को मामले की सुनवाई करेंगे.
नई दिल्ली:

जम्मू में हिरासत में लिए गए रोहिंग्या शरणार्थियों को तत्काल रिहा करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गया है.  25 मार्च को इस मामले की सुनवाई होगी. सीनियर एडवोकेट वकील प्रशांत भूषण ने CJI एस ए बोबडे से इस मामले की जल्द सुनवाई की मांग की थी. प्रशांत भूषण ने याचिकाकता की तरफ से आरोप लगाया था कि इन रोहिंग्या शरणार्थियों को डिपोर्ट कर दिया जाएगा. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि प्रशांत भूषण गलत तथ्य बता रहे हैं लेकिन मामले की सुनवाई होनी चाहिए. 

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दोनों पक्षों को सुनने के बाद CJI ने कहा कि अगले गुरुवार को मामले की सुनवाई करेंगे. दरअसल  याचिका में केंद्र सरकार को निर्देश देने का आग्रह किया गया है कि वह अनौपचारिक शिविरों में रह रहे रोहिंग्याओं के लिए विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) के माध्यम से शरणार्थी पहचान पत्र जारी करे. रोहिंग्या शरणार्थी मोहम्मद सलीमुल्लाह ने वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में जम्मू की जेल में बंद रोहिंग्या शरणार्थियों को निर्वासित करने के किसी भी आदेश को लागू करने से रोकने के लिए आदेश जारी करने की मांग की है.

याचिका में कहा गया है कि शरणार्थियों को सरकारी सर्कुलर को लेकर एक खतरे का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें संबंधित अधिकारियों को अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों की पहचान करने और तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं. याचिका में कहा गया है कि इसे जनहित में दायर किया गया है, ताकि भारत में रह रहे शरणार्थियों को प्रत्यर्पित किए जाने से बचाया जा सके. याचिका में दलील दी गई है कि यह समानता और जीने के अधिकार का उल्लंघन है. 

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