कानूनी एजेंसियों द्वारा मीडियाकर्मियों के डिजीटल उपकरण जब्त करने का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया है. अदालत ने मीडियाकर्मियों के लिए अलग से गाइडलाइन की वकालत की और कहा, ये एक गंभीर मामला है. मीडिया पेशेवरों की सुरक्षा के लिए बेहतर गाइडलाइन हो. केंद्र सरकार मीडिया पेशेवरों के उपकरणों की जब्ती पर गाइडलाइन तैयार करे, मीडिया पेशेवरों के पास अपने सूत्र होते हैं. ऐसे में हितों में संतुलन होना चाहिए. हमने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को गाइडलाइन के लिए समय दिया, 6 दिसंबर को इस मामले में अगली सुनवाई होगी. सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि केंद्र को ये गाइडलाइन तैयार करनी चाहिए.अगर आप चाहते हैं कि हम यह करें, हम यह करेंगे. लेकिन मेरा विचार यह है कि आपको यह स्वयं करना चाहिए. ऐसा राज्य नहीं हो सकता जो अपनी एजेंसियों के माध्यम से चलाया जाता हो. सुप्रीम कोर्ट फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स की एक रिट याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा डिजिटल उपकरणों की खोज और जब्ती पर व्यापक गाइडलाइन की मांग की गई है.
जस्टिस संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की बेंच ये मामले की सुनवाई कर रही थी. दरअसल केंद्र की ओर से ASG एसवी राजू ने कहा कि वो बहस करने के लिए अभी तैयार नहीं हैं. जटिल कानूनी मुद्दे हैं जिन पर विचार होना है. मीडिया के पास अधिकार हैं , लेकिन वे कानून से ऊपर नहीं हैं. जस्टिस कौल ने कहा कि आपके पास बेहतर गाइडलाइन होनी चाहिए
आपको यह विश्लेषण करना चाहिए कि सुरक्षा के लिए किस प्रकार के दिशानिर्देश आवश्यक हैं. यह प्रतिकूल नहीं है, हम आपको और समय देंगे. ये ध्यान में रखा जाए कि हमने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना है. ASG इस मुद्दे पर जवाब दें.
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