लालच देकर या जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ (Forced Religious Conversion) सख्त कानून बनाने की मांग वाली याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता बीजेपी नेता (BJP) और वकील अश्विनी उपाध्याय से कहा है कि वो जनहित याचिका में अल्पसंख्यक धर्मों के खिलाफ दिए गए अपमानजनक बयानों को हटा दें. साथ ही ये सुनिश्चित करें कि ऐसी टिप्पणी रिकॉर्ड में न आए. सुप्रीम कोर्ट अब 9 जनवरी 2023 को मामले की सुनवाई करेगा.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अरविंद दातार ने आश्वासन दिया कि अगर यह अपमानजनक टिप्पणी या बुरी टिप्पणी है, तो उन्हें हटा दिया जाएगा. इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे कुछ ईसाई संगठनों की ओर से पेश दुष्यंत दवे ने पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता ने अन्य धर्मों के खिलाफ बेहद घृणित आरोप लगाए हैं. जबकि याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय खुद हेट स्पीच के मामले का सामना कर रहे हैं.
दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में पक्षकार बनाने की मांग भी की. दुष्यंत दवे ने इसके साथ ही कहा कि अदालत को इस याचिका पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए.
पीठ ने केंद्र सरकार के हलफनामे का इंतजार करने के लिए सुनवाई 9 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी. पीठ ने कि वो हस्तक्षेपकर्ताओं की अर्जी पर अगली सुनवाई में विचार करेंगे.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीर मामला बताते हुए केन्द्र सरकार से कहा था कि वो सभी राज्यों से बातकर विस्तृत हलफनामा दाखिल करे. गुजरात सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामे में भी जबरन धर्मातरण के खिलाफ सख्त कानून बनाने का समर्थन किया गया है.
ये भी पढ़ें:-
लखीमपुर खीरी हिंसा : आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल जमानत नहीं