काम का बोझ कम करें ... सुप्रीम कोर्ट ने SIR के दौरान BLO की मौतों पर दिए कई बड़े निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चूंकि यह एक वैधानिक कार्य है. राज्य सरकारें अतिरिक्त कर्मचारी उपलब्ध कराएंगी, ताकि मौजूदा कर्मचारियों पर कार्यभार और कार्य के घंटे आनुपातिक रूप से कम हो सकें. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के चुनाव आयोग पर आरोप को मानने से इनकार किया.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने SIR के दौरान BLOs की मौतों पर गंभीर चिंता जताई है. BLO पर काम का बोझ कम करने के लिए निर्देश दिए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये राज्यों की जिम्मेदारी है. राज्य सरकारें और कर्मचारी लगाएं ताकि काम के घंटे उसी हिसाब से कम किए जा सकें.अगर किसी कर्मचारी के पास ड्यूटी से छूट मांगने की कोई खास वजह है तो संबंधित अधिकारी केस-टू-केस आधार पर इस मुद्दे पर विचार कर सकते हैं. जहां दस हजार हैं वहां 20 या 30 हजार कर्मी लगाए जा सकते हैं. अगर कोई बीमार या असमर्थ है तो राज्य वैकल्पिक कर्मचारी तैनात कर सकता है. इसका यह मतलब नहीं निकाला जाएगा कि राज्य ECI के लिए ज़रूरी वर्कफ़ोर्स लगाने के लिए मजबूर होंगे. अदालत ने कहा कि जरुरत के अनुसार संख्या बढ़ाई जा सकती है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चूंकि यह एक वैधानिक कार्य है. राज्य सरकारें अतिरिक्त कर्मचारी उपलब्ध कराएंगी, ताकि मौजूदा कर्मचारियों पर कार्यभार और कार्य के घंटे आनुपातिक रूप से कम हो सकें. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के चुनाव आयोग पर आरोप को मानने से इनकार किया.

CJI सूर्य कांत क्या कहा?

CJI सूर्य कांत ने टिप्पणी की कि BLOs राज्य सरकार के कर्मचारी हैं, अगर कोई बीमार या असमर्थ है तो राज्य वैकल्पिक कर्मचारी तैनात कर सकता है. याचिकाकर्ता ने कहा कि 9 राज्यों और 3 केंद्रशासित प्रदेशों से डेटा दिया गया है जहां SIR चल रहा है. हर राज्य में ऐसे परिवार हैं जिनके बच्चे अनाथ हो गए, माता-पिता बिछड़ गए क्योंकि ECI, BLOs को सेक्शन 32 के नोटिस भेज रही है. ECI ने याचिका को “पूरी तरह झूठा और बेबुनियाद” बताया और कहा कि इसे खारिज कर देना चाहिए.

टीवीके ने दायर की है याचिका

गौरतलब है कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR प्रक्रिया को चुनौती देने के सिलसिले में तमिलनाडु के राजनीतिक दल टीवीके की याचिका पर सुनवाई के दौरान,  सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ के समक्ष दलील दी गई कि अब तक देश के अलग अलग राज्यों में 35–40 BLOs की मृत्यु काम के अत्यधिक दबाव के कारण हुई है. इसलिए हमने मुआवज़ा देने की मांग की है.

विभिन्न राज्यों में आयोग की ओर से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 32 के  BLOs को नोटिस भेजे जा रहे हैं कि यदि उन्होंने लक्ष्य पूरे नहीं किए तो उन्हें जेल जाना पड़ सकता है. याचिकाकर्ता ने कहा कि मेरी सीमित प्रार्थना अभी यह है कि ECI ऐसे कठोर कदम न उठाए. सिर्फ उत्तर प्रदेश में 50 FIR दर्ज की गई है. प्रेस मीडिया में कहा जा रहा है कि BLOs को जेल भेजेंगे. आप स्कूल शिक्षकों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ ऐसा नहीं कर सकते. 

हमने केरल, तमिलनाडु, यूपी, गुजरात और अन्य जगहों से भी कई तथ्य रिकॉर्ड पर रखे हैं.इस पर चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम राज्यों से कह सकते हैं कि वे कर्मचारियों को बदल दें. यदि कर्मचारी को कोई वास्तविक समस्या है और वह BLO का काम नहीं करना चाहता तो उसे बदला जा सकता है.इस पर वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि उन्हें जिम्मेदारी लौटाने यानी खुद को वापस लेने  ही नहीं करने दिया जा रहा.
 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Jaish की महिला विंग पर बड़ा खुलासा, 5 हजार जिहादियों की भर्ती हुई पूरी | Breaking News
Topics mentioned in this article