कहानी सोनाली की, जिसके लिए कानून का भी दिल पिघल गया, भारत में बच्चे को जन्म देगी

सुनाली खातून को उनके पति और 8 साल के बच्चे के साथ बांग्लादेश भेजा गया था. हालांकि बांग्लादेश सरकार और अदालत ने भी उसे उनके देश का नागरिक मानने से इनकार कर दिया.

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Sunali Khatoon
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  • सोनाली खातून को उनके आठ साल के बेटे के साथ अवैध प्रवासी मानकर बांग्लादेश भेजा गया था
  • सुप्रीम कोर्ट ने मानवीय आधार पर सोनाली को भारत वापस लाने का आदेश दिया
  • सोनाली के पति दानिश की नागरिकता अभी मान्य नहीं है, इसलिए वे बांग्लादेश में ही रहेंगे
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नई दिल्ली:

भारत में घुसपैठियों का मुद्दा इन दिनों गरमाया हुआ है. राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें उनके देश वापस भेजने के अभियान में जुटी हैं. इसी मुहिम में इसी साल गर्भवती महिला सोनाली खातून नामक को बांग्‍लादेश भेज दिया गया. हालांकि कुछ वक्त पहले बांग्‍लादेश की अदालत ने खातून को भारतीय नागरिक करार दे दिया. इससे वो दो देशों के बीच दोराहे पर फंस गईं. फिर सुप्रीम कोर्ट ये केस पहुंचा और उन्हें राहत मिली.पश्चिम बंगाल की सोनाली खातून को उनके 8 साल के बेटे के साथ बांग्‍लादेश भेजा गया था.

बांग्लादेश की युनूस सरकार और वहां की कोर्ट ने खातून को अपना नागरिक मानने से इनकार कर दिया. 25 साल की खातून 5 महीने से भटक रही थीं. राहत की खबर के बीच खातून ने ख्वाहिश जताई थी कि उनकी दूसरी संतान का जन्म भारत में हो. सुप्रीम कोर्ट ने मानवता के आगे कानून के झुकने का उदाहरण दिया. दलीलों के बीच सरकार सुनाली खातून को भारत वापस लाने पर राजी हो गई. हालांकि उसने कोर्ट में साफ किया कि वो सुनाली को अभी भी अवैध प्रवासी मानती है. उन्‍हें सिर्फ मानवीय आधार पर भारत लाने को तैयार है.

भारत लौटने का बेसब्री से इंतजार

सोनाली को बांग्लादेश की चपाई नवाबगंज जिल से सोमवार को रिहा किया गया था. वो 8 साल के बच्चे के साथ भारत लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं. उनके पति दानिश अभी भी बांग्लादेश में रहेंगे, क्योंकि केंद्र सरकार ने उनकी भारतीय नागरिकता को भी नहीं माना है और सिर्फ सोनाली को भारत लाने पर रजामंदी दी है. 26 साल की सोनाली और उनके पति को दिल्ली से पकड़ा गया था और वापस बांग्लादेश भेजा गया था. 100 दिनों तक हिरासत में रहने के बाद 1 दिसंबर को स्थानीय अदालत ने उन्हें जमानत दी और 5 हजार बांग्लादेशी टका का बॉन्ड भरवाया. उनसे यह भी कहा गया कि जरूरत पड़ने पर उन्हें अदालत में पेश होना पड़ेगा. 

Sunali Khatoon

TMC सांसद समीरुल इस्लाम क्या बोले

टीएमसी सांसद समीरुल इस्लाम सोनाली को वापस लाने के लिए कानूनी लड़ाई में मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सोनाली को भारत वापस लाने की प्रक्रिया पर सरकार की ओर से और जानकारी मिलने का इंतजार है.उन्होंने बंगाली बोलने वाली सोनाली को पकड़ने और उसे बांग्लादेश भेजने वाले अफसरों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है. इस्लाम ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि सिर्फ बंगाली बोलने के आधार पर किसी को बांग्लादेश नहीं भेजा जा सकता. उनके अभिभावकों का नाम एसआईआर लिस्ट में है. उनके दादा की प्रापर्टी का रजिस्ट्रेशन 1952 का है.

हाईकोर्ट ने भी उनके पक्ष में आदेश दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इसमें दखल दिया है. केंद्र सरकार को बिना किसी देरी के उसे वापस लाना चाहिए, क्योंकि वो जल्द ही मां बनने वाली है. सोनाली खातून के पिता भोदू शेख ने टीएमसी सांसद इस्लाम की मदद से याचिका दाखिल की थी.केंद्र सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. 

Sunali Khatoon Family

सोनाली के अलावा कई और बांग्लादेश भेजे गए

सोनाली खातून ही नहीं स्वीटी बीबी को भी उनके पति और दो बच्चों के साथ जून 2025 में बांग्लादेश वापस भेजा गया था.दिल्ली पुलिस ने 18 जून 2025 को अवैध तरीके से घुसपैठ के आरोप में उन्हें पकड़ा था.इमाम ने एनडीटीवी से कहा कि सिर्फ सोनाली ही नहीं, उनका पति दानिश, स्वीटी और उनका परिवार भी भारतीय नागरिक है. इसके दस्तावेजी सबूत कलकत्ता हाईकोर्ट में पेश किए गए थे. पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया था कि सरकार सभी प्रत्यर्पित छह व्यक्तियों को वापस लाए. एसजी तुषार मेहता केंद्र की ओर से पेश हुए थे.

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सरकार से किया था अनुरोध

उन्होंने कहा था कि वो सभी बांग्लादेशी हैं और सरकार हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दे रही है.हाईकोर्ट ने इन सभी को वापस लाने का आदेश दिया था.सुप्रीम कोर्ट ने 3 दिसंबर को कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा था कि कभी कभी सरकार को मानवीय आधार पर झुकना चाहिए. केंद्र ने इसके बाद हलफनामा देकर सुनाली को वापस लाने की बात कही थी. सोशल वर्कर और सुनाली के दोस्त मोफिजुल इस्लाम 21 अगस्त से बांग्लादेश में ही थे, लेकिन वीजा अवधि खत्म होने के बाद उन्हें वापस लौटना पड़ा. 
 

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