देश में बीते 2 साल में 18% बढ़े आत्महत्या के मामले, विपक्ष ने सरकार पर उठाए सवाल

विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा में सोमवार को युवाओं और किसानों के आत्महत्या करने का मामला उठाते हुए सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

भारत में आत्महत्या करने वाले लोगों की संख्या साल 2019 से 2021 के बीच बढ़ गई है. श्रम एवं रोज़गार राज्य मंत्री रामेशर तेली ने लोक सभा में आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर आंकड़े पेश करते हुए कहा कि देश में 2019 के मुकाबले 2021 में सुसाइड के मामले 18 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं.

दरअसल, विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा में सोमवार को युवाओं और किसानों के आत्महत्या करने का मामला उठाते हुए सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी. लोकसभा सांसद डॉ टी.आर परिवेन्दर ने कहा था कि देश में आत्महत्या करने वाले नागरिकों की संख्या बढ़ती जा रही है और इसको लेकर चिंता भी.

सांसद के सवाल के जवाब में श्रम एवं रोज़गार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े पेश करते हुए लिखित जवाब में कहा कि 2019 में देश में कुल 1,39,123 सुसाइड के मामले राज्य सरकारों ने रिकॉर्ड किए. वहीं, 2020 में देश में सुसाइड करने वालों की संख्या बढ़कर 1,53,052 हो गई. जबकि 2021 में  सुसाइड करने वालों की संख्या और बढ़कर 1,64,033 तक पहुंच गई. 

उन्होंने बताया कि 2021 में सबसे ज़्यादा 22,207 मामले महराष्ट्र में रिकॉर्ड हुए. आंकड़े पेश करते हुए रामेष्वर तेली ने कहा कि युवाओं की रोज़गार क्षमता में सुधार के साथ-साथ रोज़गार के अवसर पैदा करना सरकार की प्राथमिक चिंता है. सरकार ने बड़ी सरकारी योजनाओं के माध्यम से देश में रोजगार श्रृजन के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं.

गौरतलब है कि सोमवार को ये मुद्दा राज्यसभा में भी उठा. कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने एनडीटीवी से कहा, " मैंने सदन में कहा कि ये बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है. पिछले ५-६ साल से युवा आत्महत्या की तरफ से बढ़ रहे हैं. ये फ्रस्ट्रेशन है बेरोजगारी का. जिस तरह से युवाओं को रोज़गार नहीं मिल रहा है, उनके मन में अपराध बोध आता है कि पेरेंट्स की उम्मीद पर खरा नहीं उतरे. बच्चों में ज़्यादा उम्मीद जताना नहीं चाहिए. सरकार रोज़गर के अवसर पैदा करे ये जरूरी है."

राज्यसभा में सवाल किसानों की आत्महत्या का भी उठा. आम आदमी पार्टी के सांसद संत बलबीर सिंह ने किसानों और खेतिहर मज़दूरों में बढ़ते आर्थिक संकट का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट की वजह से किसानों और खेतिहर मज़दूरों में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं. सरकार को पीड़ित किसानों को मुआवज़ा देना चाहिए और आर्थिक संकट दूर करना चाहिए.

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AAP सांसद संत बलबीर सिंह ने एनडीटीवी से कहा कि किसानी घाटे का धंधा बन गया है. नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो के आकड़ों के मुताबिक २०१७ से २०२१ के बीच 53,000 किसान और खेतिहर मज़दूरों ने आत्महत्या की है. किसानों को फसल का मूल्य नहीं मिल रहा है. MSP सभी फसलों पर मिलनी चाहिए. स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करना बेहद जरूरी हो गया है'. 

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