सीबीआई ने सरकार से भारत की पनडुब्बियों के बारे में गोपनीय जानकारी को 'अनधिकृत व्यक्तियों' को पारित करने के आरोपी गिरफ्तार नौसेना अधिकारियों के खिलाफ आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम लागू करने की अनुमति मांगी है. यह जानकारी मंगलवार को एनडीटीवी को देते हुए सूत्रों ने बताया, "जांच में यह सामने आ चुका है कि नौसेना अधिकारियों ने संवेदनशील जानकारियां लीक की हैं, जिसके बाद एजेंसी ने आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम लागू करवाने का फैसला किया है. पिछले हफ्ते एजेंसी ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत एक सेवारत और दो सेवानिवृत्त अधिकारियों पर चार्ज लगाया था.
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सूत्रों से टिप मिलने के बाद सीबीआई ने सितंबर में नौसेना के दो सेवानिवृत्त अधिकारियों पर नेवल प्रोजेक्ट्स की गोपनीय जानकारियां लीक करने का चार्ज लगाते हुए एफआईआर दर्ज की थी. यह एफआईआर सार्वजनिक नहीं हुई है, लेकिन इसको एनडीटीवी ने देखा है, जिसमें लिखा गया है कि अवैध संतुष्टि के लिए बाहरी लोगों को तीन पतवारों की खरीद के बारे में गोपनीय जानकारी लीक की गई हैं.
इस जासूसी रैकेट का पर्दाफाश तब हुआ जब 3 सितंबर को सीबीआई ने रिटायर्ड अफसरों रणदीप सिंह और एसजे सिंह को गिरफ्तार किया. कमांडर रणदीप सिंह (सेवानिवृत्त) से संबंधित संपत्ति पर बाद में तलाशी के बाद लगभग 2 करोड़ नकद की वसूली हुई. एफआईआर में यह भी लिखा हुआ है, "सूत्र ने बताया कि 18 अगस्त 2021 को एसजे सिंह ने यूपी के नोएडा में रणदीप सिंह के आवास पर उनसे मुलाकात की और हार्ड कॉपी में नेवी ऑफिस में हुई बैठक की मुख्य रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट सौंपा.
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इसके बाद सीबीआई ने पश्चिमी नौसेना कमान मुख्यालय में तैनात कमांडर अजीत कुमार पांडेय को गिरफ्तार कर लिया. इसी स्थान पर कमांडर पांडेय के अधीन कार्यरत एक दूसरे अधिकारी को भी गिरफ्तार किया गया. सूत्रों ने बताया कि कमांडर एसजे सिंह नौसेना परियोजनाओं में रुचि के साथ एक कोरियाई कंपनी के लिए काम कर रहे थे. वे इसी साल की शुरुआत में रिटायर हुए थे.