कहानी कामयाबी की: चोट की वजह से क्रिकेट छोड़ने वाले मनोज, झोपड़पट्टी में पले सैय्यद ने ऐसे क्रैक किया UPSC

मुंबई का डोंगरी इलाका..यहां की तंग गलियों से निकल एक मज़दूर का बेटा पूरे डोंगरी का सीना चौड़ा कर रहा है. 27 साल के मोहम्मद हुसैन सैयद से जिन्होंने 5वीं बार में UPSC की परीक्षा में सफलता हालिस की और अब शिक्षा के ही सहारे अपनी बस्ती की पहचान बदलने की ठान चुके हैं.

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5वीं बार में UPSC की परीक्षा में सफलता हालिस की

नई दिल्ली:  अगर व्यक्ति अपने लक्ष्य को हासिल करने का मन बना ले, तो तमाम चुनौतियां भी उसकी राह नहीं रोक सकतीं. आज हम आपको दो ऐसे UPSC के कैंडिडेट्स की कहानी बताएंगे, जिन्होंने UPSC की परीक्षा में सफलता हासिल की. अभ्यर्थियों ने NDTV को अपने-अपने अनुभव, सक्सेस स्टोरी और कामयाबी के गुर बताएं हैं.

मुंबई की झोपड़पट्टी में रहने वाले सैयद मोहम्मद हुसैन और राजस्थान के सीकर के मनोज महरिया ने चुनौतियों को मात देते हुए यूपीएससी(UPSC) क्रैक किया है. दोनों लोगों ने NDTV के साथ अपनी सफलता की कहानी साझा की है. राजस्थान के सीकर के मनोज महरिया ने कहा, "गांव से ही पूरी तैयारी हुई है. पहले मैं एक क्रिकेटर था. 2018 में चोट लगने की वजह से क्रिकेट छोड़ दिया था. 2019 में हमने तैयारी शुरू की और दूसरी बार में मुझे सफलता मिल गई.

"शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए करेंगे काम..."
राजस्थान के सीकर के मनोज महरिया ने कहा, "UPSC की परीक्षा में कोचिंग नेसेसरी नहीं है. सेल्फ स्टडी इस परीक्षा में काफी महत्वपूर्ण है. जब मैं 6 महीने का था, उसी समय पिता का देहांत हो गया. इसके बाद माताजी, जो एक निजी अस्पताल में काम करती थी इसके बाद उन्हें सरकारी नौकरी मिल गई. मम्मी और परिवार के लोगों ने काफी सहयोग किया है. रिजल्ट आने के बाद परिवार में काफी खुशी का माहौल है. अभी M.A की परीक्षा चल रही है. देश के विकास में हमारा योगदान रहेगा. शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए हम काम करेंगे. पिता के मौत के बाद परिवार की स्थिति ठीक नहीं थी. दादा-दादी ने काफी सहयोग किया.

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हुसैन सैयद को यूपीएससी की परीक्षा 570 वीं रैंक मिला

मुंबई का डोंगरी इलाका..यहां की तंग गलियों से निकल एक मज़दूर का बेटा पूरे डोंगरी का सीना चौड़ा कर रहा है. 27 साल के मोहम्मद हुसैन सैयद से जिन्होंने 5वीं बार में UPSC की परीक्षा में सफलता हालिस की और अब शिक्षा के ही सहारे अपनी बस्ती की पहचान बदलने की ठान चुके हैं. मुंबई की झुग्गी बस्ती डोंगरी में नेता की जगह एक मज़दूर के बेटे की पोस्टर टंगी है. मोहम्मद हुसैन सैयद को यूपीएससी की परीक्षा 570 वीं रैंक मिला है.

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"सफलता नहीं मिली तो टूट गया था..."
मोहम्मद हुसैन सैयद ने NDTV से कहा, "मेरे पिता प्राइवेट ट्रांसपोर्ट में काम करते हैं. परिवार के लोगों ने काफी हेल्प किया है. आसान नहीं था सफर..लोगों को UPSC समझ नहीं आती थी. इलाक में लाइब्रेरी नहीं था. पढ़ने में दिक़्क़  होती थी. लोक पार्क से भगा देते थे. बार बार पूछते थे कब एग्जाम है. मैं झूठ बोलकर टाल देता था. पूणे से तैयारी की. 3 बार फेल हुआ और चौथी बार में जब काफी मेहनत के बाद सफलता नहीं मिली तो टूट गया था. लेकिन परिवार के लोगों ने हौसला बढ़ाया और फिर से परीक्षा दिया. इसके बाद मुझे सफलता मिली. 

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मोहम्मद हुसैन सैयद ने NDTV से कहा, "मेरे पिता ने मुझे पढ़ने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने इस सफलता में पूरा सहयोग किया है. मैंने तो तैयारी में 5 साल लगे हैं. लेकिन इसके लिए मेरे पिता ने 27 साल मेहनत की है. अपने इलाका में विकास नहीं है. यहां के हालात ने मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया." 

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