श्रीलंका में सोशल मीडिया (Social Media) पर भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी (Indian industrialist Gautam Adani) के समूह के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध की तैयारी है. इसमें आरोप लगाया गया है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Sri Lankan President Gotabaya Rajapaksa) पर दबाव डालकर अडानी समूह को यह इनर्जी प्रोजेक्ट दिलवाया है.16 जून को दोपहर 2 बजे कोलंबो के मैजेस्टिक सिटी के सामने ये विरोध प्रदर्शन बुलाया गया है. पोस्टर के जरिए लोगों को यहां इकट्ठा होने के लिए का गया है.
ये विवाद तब शुरू हुआ जब श्रीलंका के सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीईबी) के अध्यक्ष एमएमसी फर्डिनेंडो, जिन्होंने बाद में इस्तीफा दे दिया, ने एक संसदीय पैनल को बताया कि उन्हें राष्ट्रपति राजपक्षे ने बताया था कि पीएम मोदी ने पवन ऊर्जा परियोजना को सीधे अडानी समूह को देने के लिए दबाव डाला था. हालांकि राष्ट्रपति राजपक्षे ने इस दावे का खंडन किया है.
अडाणी ग्रुप ने पीएम मोदी और श्रीलंका पावर प्रोजेक्ट विवाद पर दी प्रतिक्रिया
लेकिन एक पत्र से पता चलता है कि मन्नार जिले में 500 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना को मंजूरी देने के लिए भारत सरकार की ओर से श्रीलंका सरकार को प्रस्ताव दिया गया था. इसमें अडानी ग्रुप को इसके लिए मंजूरी देने का सुझाव भी था. इसी को लेकर श्रीलंका के प्रधानमंत्री द्वारा निर्देश का हवाला दिया गया है.
वहीं अडानी समूह ने कहा है कि वह इस विवाद से निराश है. अडाणी ग्रुप के एक प्रवक्ता ने कहा, "श्रीलंका में निवेश करने का हमारा इरादा एक मूल्यवान पड़ोसी की जरूरत को पूरा करना है. एक जिम्मेदार कारपोरेट के रूप में हम इसे उस पार्टनरशिप के जरूरी हिस्से के तौर पर देखते हैं जो इन दोनों देशों ने हमेशा 'शेयर' की है. मामले को लेकर सामने आई बदनामी (detraction)को लेकर हमें साफ तौर पर बेहद निराशा हुई है. तथ्य यह है कि इस मुद्दे को श्रीलंका सरकार अंदरूनी स्तर पर पहली ही देख चुकी है." भारत ने इन आरोपों या पत्र का फिलहाल कोई जवाब नहीं दिया है.
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