नीति आयोग की बैठक में स्टालिन किस बात पर करने लगे पीएम मोदी की तारीफ? पंजाब ने रखी ये मांग

आम आदमी पार्टी के नेता ने तर्क दिया कि पंजाब की स्थिति को देखते हुए सतलुज-यमुना-लिंक (एसवाईएल) नहर के बजाय यमुना-सतलुज-लिंक (वाईएसएल) नहर के निर्माण पर विचार किया जाना चाहिए.

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शनिवार को नीति आयोग की बैठक में प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों से विकसित भारत के लक्ष्य की दिशा में मिलकर काम करने का आग्रह किया, जिसमें कुछ विपक्षी मुख्यमंत्रियों ने अपने राज्यों को प्रभावित करने वाले मुद्दे भी उठाए, जिनमें से मुख्य शिकायतें संसाधनों के बंटवारे से संबंधित थीं. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र से राज्यों के साथ अधिक फंड जारी करने पर जोर दिया, जबकि पंजाब के सीएम ने तर्क दिया कि उनके राज्य के पास हरियाणा के साथ साझा करने के लिए पानी नहीं है.

स्टालिन ने फंड का मुद्दा उठाया

स्टालिन की सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तीन-भाषा को लेकर बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के साथ आमने-सामने है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है, जिसमें दावा किया गया है कि इस वजह से राज्य से 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि रोकी जा रही है. स्टालिन ने केंद्र सरकार से तमिलनाडु सहित सभी राज्यों को "गैर-भेदभावपूर्ण सहयोग" देने का आग्रह किया. नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल में बोलते हुए, डीएमके प्रमुख ने कहा, "भारत जैसे संघीय लोकतंत्र में राज्यों के लिए यह आदर्श नहीं है कि वे अपने हक का फंड पाने के लिए संघर्ष करें, बहस करें या मुकदमा करें. यह राज्य और देश दोनों के विकास में बाधा डालता है."

बताई इससे क्या होती है समस्या

विभाज्य कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 50% करने की वकालत करते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने बताया कि 15वें वित्त आयोग ने विभाज्य कर राजस्व का 41% राज्यों के साथ साझा करने की सिफारिश की थी. उन्होंने दावा किया कि पिछले चार वर्षों में केंद्र सरकार के सकल कर राजस्व का केवल 33.16% ही साझा किया गया है. उन्होंने कहा, "इस बीच, केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्य सरकारों से अपेक्षित व्यय का हिस्सा बढ़ता जा रहा है, जिससे तमिलनाडु जैसे राज्यों की वित्तीय स्थिति और भी खराब हो रही है. एक ओर, केंद्र से कर हस्तांतरण में कमी से राज्य की वित्तीय स्थिति प्रभावित होती है. दूसरी ओर, केंद्रीय योजनाओं के लिए आवश्यक उच्च अंशदान से अतिरिक्त बोझ पड़ता है." 

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राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ाकर 50% करने का प्रस्ताव रखते हुए डीएमके प्रमुख ने केंद्र से इस मांग पर गंभीरता से विचार करने का आग्रह किया. उन्होंने भारत को एक विकसित देश बनाने और 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण की भी प्रशंसा की.

पंजाब ने हरियाणा पर क्या कहा

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (जिनकी सरकार भाखड़ा-नांगल बांध से पानी के बंटवारे को लेकर हरियाणा के साथ विवाद में है) ने बैठक में इस बात पर जोर दिया कि उनका राज्य पानी की कमी का सामना कर रहा है और उसके पास देने के लिए पानी नहीं है.

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आम आदमी पार्टी के नेता ने तर्क दिया कि पंजाब की स्थिति को देखते हुए सतलुज-यमुना-लिंक (एसवाईएल) नहर के बजाय यमुना-सतलुज-लिंक (वाईएसएल) नहर के निर्माण पर विचार किया जाना चाहिए. एक बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री ने कहा कि रावी, ब्यास और सतलुज नदियां पहले से ही घाटे में हैं और पानी को अधिशेष से घाटे वाले बेसिनों में भेजा जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब ने बार-बार अनुरोध किया है कि यमुना के पानी के आवंटन के लिए बातचीत में पंजाब को शामिल किया जाए, क्योंकि यमुना-सतलुज-लिंक परियोजना के तहत एक समझौता हुआ था - जिस पर 12 मार्च, 1954 को तत्कालीन पंजाब और उत्तर प्रदेश के बीच हस्ताक्षर किए गए थे - जिसके तहत पंजाब को यमुना के दो-तिहाई पानी का हक मिला था.

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यमुना को लेकर किया दावा

मान ने कहा कि समझौते में यमुना से सिंचित होने वाले क्षेत्र का उल्लेख नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि पुनर्गठन से पहले यमुना, रावी और ब्यास की तरह पंजाब से होकर बहती थी. उन्होंने बताया कि पंजाब और हरियाणा के बीच नदी के पानी का बंटवारा करते समय यमुना पर विचार नहीं किया गया, जबकि रावी और ब्यास के पानी पर विचार किया गया. केंद्रीय स्तर पर गठित सिंचाई आयोग की 1972 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए मान ने कहा कि इसमें कहा गया है कि पंजाब (1966 के बाद, इसके पुनर्गठन के बाद) यमुना नदी बेसिन में आता है, और इसलिए, यदि हरियाणा का रावी और ब्यास नदियों के पानी पर दावा है, तो पंजाब का भी यमुना के पानी पर समान अधिकार होना चाहिए.

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नीति आयोग की बैठक में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी, कर्नाटक के सिद्धारमैया, केरल के पिनाराई विजयन, पुडुचेरी के एन रंगासामी और बिहार के नीतीश कुमार को छोड़कर अधिकांश मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया. नीति आयोग की बैठक में शामिल न होने के सवाल पर नीतीश कुमार ने कहा, 'नीति आयोग की बैठक के लिए नहीं आए हैं. पीएम और एनडीए के मुख्यमंत्रियों की बैठक में भाग लेने आए हैं. बैठक का समय थोड़ा बढ़ा दिया गया है. उसी में भाग लेंगे.'