श्रीलंका: अडाणी प्रोजेक्ट को लेकर पीएम मोदी पर आरोप लगाने वाले अफसर ने दिया इस्तीफा

Adani Project : श्रीलंका के बिजली प्राधिकरण के प्रमुख द्वारा वापस लिए गए आरोप पर सरकार ने कोई टिप्पणी नहीं की है. आरोपों में श्रीलंका के मन्नार जिले में 500 मेगावाट की अक्षय ऊर्जा परियोजना शामिल है.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
आरोपों में श्रीलंका के मन्नार जिले में 500 मेगावाट की अक्षय ऊर्जा परियोजना शामिल है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

श्रीलंका के एक बड़े पावर प्रजोक्ट को सीधे गौतम अडानी ग्रुप ( Adani Group) को देने के लिए राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (President Gotabaya Rajapaksa) पर पीएम मोदी (PM Modi) द्वारा दबाव दिए जाने के दावे को श्रीलंकाई अधिकारी ने वापस ले लिया है. उस अधिकारी ने बाद में अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. साथ ही राष्ट्रपति राजपक्षे ने इसका जोरदार खंडन किया. वहीं, श्रीलंका के बिजली प्राधिकरण के प्रमुख द्वारा वापस लिए गए आरोप पर सरकार ने कोई टिप्पणी नहीं की है. आरोपों में श्रीलंका के मन्नार जिले में 500 मेगावाट की अक्षय ऊर्जा परियोजना शामिल है. श्रीलंका के सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीईबी) के अध्यक्ष एमएमसी फर्डिनेंडो ने शुक्रवार को एक संसदीय पैनल को बताया था कि राष्ट्रपति राजपक्षे ने उन्हें बताया है कि पीएम मोदी ने उन पर पवन ऊर्जा परियोजना को सीधे अडानी समूह को देने के लिए दबाव डाला था. 

ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में फर्डिनेंडो को सार्वजनिक उद्यम समिति (सीओपीई) की खुली सुनवाई में दावा करते हुए दिखाया गया है. समाचार पत्रों की रिपोर्ट के अनुसार, फर्डिनेंडो ने पैनल को बताया कि राष्ट्रपति राजपक्षे ने "मुझे बताया कि वह मोदी के दबाव में थे". एक दिन बाद, राष्ट्रपति राजपक्षे ने ट्विटर पर इसका खंडन किया. राष्ट्रपति राजपक्षे ने ट्वीट किया था: "मन्नार में एक पवन ऊर्जा परियोजना के संबंध में एक COPE समिति की सुनवाई में CEB अध्यक्ष द्वारा दिए गए एक बयान का मैं खंडण करता हूं. मैं स्पष्ट रूप से किसी विशिष्ट व्यक्ति या संस्था को इस परियोजना को प्रदान करने के लिए प्राधिकरण से इनकार करता हूं."

इस बाबत उनके कार्यालय ने एक लंबा बयान भी जारी किया, जिसमें परियोजना पर किसी को प्रभावित करने का जोरदार खंडन किया गया था. बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने स्पष्ट रूप से कहा था कि उन्होंने मन्नार में किसी भी व्यक्ति या किसी संस्थान को पवन ऊर्जा परियोजना देने के लिए किसी भी समय प्राधिकरण नहीं दिया था."

Advertisement

राष्ट्रपति राजपक्षे के कार्यालय ने कहा, "श्रीलंका में वर्तमान में बिजली की भारी कमी है और राष्ट्रपति चाहते हैं कि जल्द से जल्द मेगा बिजली परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी आए. हालांकि, ऐसी परियोजनाओं को प्रदान करने में कोई अनुचित प्रभाव नहीं डाला जाएगा. बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए परियोजना प्रस्ताव सीमित हैं. लेकिन परियोजनाओं के लिए संस्थानों के चयन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जो श्रीलंका सरकार द्वारा पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली के अनुसार सख्ती से किया जाएगा, "

Advertisement

राष्ट्रपति राजपक्षे के कार्यालय द्वारा बयान जारी करने के एक दिन बाद, फर्डिनेंडो ने श्रीलंकाई दैनिक द मॉर्निंग में माफी मांगते हुए कहा कि "अप्रत्याशित दबाव और भावनाओं" के कारण, उन्हें भारतीय प्रधान मंत्री का नाम लेने के लिए मजबूर किया गया था.

Advertisement

यह भी पढ़ें -
देवेंद्र फडणवीस भी हमारे पक्ष में मतदान करेंगे, अगर... : बोले शिवसेना के संजय राउत

Advertisement

रांची हिंसा पर केंद्र ने राज्यपाल से मांगी रिपोर्ट, अब तक दर्ज हुई 25 FIR, 29 लोग नामज़द

Featured Video Of The Day
Railway Control Room Exclusive: Chhath को लेकर रेलवे कितना है तैयार? देखिए ये Special Report
Topics mentioned in this article