क्या भारत में आ सकता है श्रीलंका जैसा संकट? सर्वदलीय बैठक में विदेशमंत्री ने दिया यह जवाब

श्रीलंका (Sri Lanka) में आर्थिक संकट ने सरकार के खिलाफ बड़ा विद्रोह खड़ा कर दिया, जिसके बाद राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (President Gotabaya Rajapaksa) को इस्तीफा देना पड़ा है. श्रीलंका संकट ने पूरे द्वीप एक राजनीतिक संकट को जन्म दिया है.

विज्ञापन
Read Time: 20 mins
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने श्रीलंका संकट पर सर्वदलीय बैठक बुलाई है.
नई दिल्ली:

भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका बीते कई महीनों से आर्थिक व राजनीतिक संकट से जूझ रहा है. इस संकट को ध्यान में रखते हुए मंगलवार को केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई. इस बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत की नजर श्रीलंका के पूरे हालात पर है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि श्रीलंका बहुत गंभीर संकट का सामना कर रहा है, जो भारत को स्वाभाविक रूप से चिंतित करता है. भारत में इस तरह के संकट आने की सवाल पर उन्होंने इसे पूरी करह से खारिज कर दिया. सरकार की ओर से बैठक में हिस्सा लेने वालों में संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी शामिल थे, जबकि विपक्ष की ओर से कांग्रेस के पी.चिदंबरम और मणिकम टैगोर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की ओर से शरद पवार और द्रमुक की ओर से टी.आर.बालू और एम.एम.अब्दुल्ला शामिल रहे.

जयशंकर ने कहा, ‘जिस कारण से हमने आप सभी से सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने का अनुरोध किया है, वह यह है कि यह एक बहुत गंभीर संकट है और श्रीलंका में जो हम देख रहे हैं, वह कई मायने में अभूतपूर्व स्थिति है.' उन्होंने कहा, ‘यह मामला करीबी पड़ोसी से संबंधित है और इसके काफी करीब होने के कारण हम स्वाभाविक रूप से परिणामों को लेकर चिंतित हैं.'जयशंकर ने कहा कि श्रीलंका को लेकर कई गलत तुलनाएं हो रही हैं और कुछ लोग पूछ रहे हैं कि क्या ऐसी स्थिति भारत में आ सकती है. उन्होंने इसे गलत तुलना बताया. उन्होंने कहा,‘श्रीलंका से आने वाला सबक बहुत ही मजबूत है.ये सबक हैं वित्तीय विवेक, जिम्मेदार शासन और मुफ्त की संस्कृति नहीं होनी चाहिए.'

बैठक में अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूख अब्दुल्ला, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, तेलंगाना राष्ट्र समिति के केशव राव, बहुजन समाज पार्टी के रीतेश पांडे, वाईएसआर कांग्रेस के विजयसाई रेड्डी और एमडीएमके के वाइको आदि ने हिस्सा लिया. श्रीलंका पिछले सात दशकों में सबसे गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जहां विदेशी मुद्रा की कमी के कारण भोजन, ईंधन और दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं के आयात में बाधा आ रही है.

Advertisement

सरकार के खिलाफ उग्र प्रदर्शनों के बाद आर्थिक संकट से उपजे हालातों ने देश में एक राजनीतिक संकट को भी जन्म दिया है. कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने देश में आपातकाल घोषित कर दिया है. संसद के मॉनसून सत्र से पहले रविवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के दौरान तमिलनाडु के दलों द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) ने भारत से श्रीलंका के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी.

Advertisement

ये भी पढ़ें:

आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू का अगला राष्ट्रपति बनना तय, हर्षा कुमारी की ग्राउंड रिपोर्ट

Advertisement
Featured Video Of The Day
Milk Price: Delhi-NCR में इतने रुपए लीटर दूध और इस कीमत पर मिलेगा 1 KG दही... | Nandini Milk